थाईलैंड जाना इतना क्यों पसंद कर रहे हैं भारतीय
2017 में थाईलैंड को पर्यटन से 58 अरब डॉलर का राजस्व हासिल हुआ. इस साल 3.5 करोड़ पर्यटक थाईलैंड आए थे. यही गति रही तो पाँच सालों के भीतर थाईलैंड स्पेन को पीछे छोड़ दूसरा स्थान हासिल कर सकता है और फिर अमरीका ही उससे आगे रह जाएगा. पर्यटन उद्योग थाईलैंड के लिए सबसे लाभकारी साबित हो रहा है.
थाईलैंड विदेशी पर्यटन से पैसा कमाने के मामले में इस साल फ़्रांस को भी पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा देश बन गया है. फ़ाइनैंशियल टाइम्स के शोध के मुताबिक़ थाईलैंड को इस मुकाम पर भारतीयों ने लाया है.
2017 में थाईलैंड को पर्यटन से 58 अरब डॉलर का राजस्व हासिल हुआ. इस साल 3.5 करोड़ पर्यटक थाईलैंड आए थे. यही गति रही तो पाँच सालों के भीतर थाईलैंड स्पेन को पीछे छोड़ दूसरा स्थान हासिल कर सकता है और फिर अमरीका ही उससे आगे रह जाएगा. पर्यटन उद्योग थाईलैंड के लिए सबसे लाभकारी साबित हो रहा है.
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फ़ाइनैंशियल टाइम्स का कहना है अगर पर्यटन उद्योग को निकाल दिया जाए तो उसकी अर्थव्यवस्था 3.3 फ़ीसदी की दर से ही आगे बढ़ती. 2018 की पहली छमाही में थाईलैंड की जीडीपी में पर्यटन उद्योग का योगदान 12.4 फ़ीसदी था.
यह थाईलैंड की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के बराबर है. द वर्ल्ड ट्रैवेल एंड टूरिज़म काउंसिल का अनुमान है कि थाईलैंड की जीडीपी में घरेलू और विदेशी पर्यटन का योगदान 21.2 फ़ीसदी रहा था.
थाईलैंड के पर्यटन में बूम के पीछे भारत है. भारत के बाद चीन का भी इसमें योगदान है. चीन के कई ऐसे एयरपोर्ट हैं जहां से थाईलैंड जाने में तीन से चार घंटे के वक़्त लगते हैं. पिछले साल 14 लाख भारतीय थाईलैंड गए और यह उसके पहले के साल से 18.2 फ़ीसदी ज़्यादा है.
2010 से थाईलैंड जाने वाले भारतीयों हर वर्ष औसत 10 फ़ीसदी बढ़े हैं. थाईलैंड आने वाले पर्यटकों की संख्या में भारत 2017 में पांचवे नंबर पर था जबकि 2013 में सातवें नबर पर था.
आख़िर थाईलैंड भारतीयों को इतना क्यों भा रहा है?
नई दिल्ली से थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक जाने में चार से पाँच घंटे का वक़्त लगता है. जो भारतीय अपने देश में फ्लाइट से सफर करते हैं उनके लिए बैंकॉक का किराया भी बहुत ज़्यादा नहीं है. आज की तारीख़ में में आठ से दस हज़ार के किराए में फ्लाइट से बैंकॉक पहुंचा जा सकता है.
थाईलैंड अपने ख़ूबसूरत बीच के लिए जाना जाता है. थाईलैंड के बीच की ख़ूबसूरती भी दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती है. भारतीयों के लिए थाईलैंड से ख़ूबसूरत कोई बीच पास में नहीं है.
नजदीक और सस्ता होने के कारण भी भारतीय थाईलैंड को ख़ूब पसंद करते हैं. भारत का निम्न मध्य वर्ग यूरोप का खर्च वहन नहीं कर सकता है ऐसे में थाईलैंड एक मजबूत विकल्प के रूप में सामने आता है.
थाईलैंड जा रहे हैं तो इन बातों का ख़्याल रखें
भारत के साथ थाईलैंड का सांस्कृतिक रिश्ता भी है. थाईलैंड के लोग बौद्ध धर्म का पालन करते हैं. ऐसे में भारत थाईलैंड के लिए कोई अजनबी देश नहीं है.
दक्षिण-पूर्वी एशिया में इंटर करने के लिए थाईलैंड प्रमुख देश है. थाईलैंड के ज़रिए पूरे उपद्वीप को सस्ते में घूमा जा सकता है. थाईलैंड में भारतीय दिसंबर से जुलाई महीने के बीच ख़ूब जाते हैं.
भारतीयों में नीले पानी और समुद्र तट की सफ़ेद रेत को लेकर काफ़ी मोह रहता है. भारतीयों के लिए थाईलैंड का वीज़ा पाना बहुत आसान है. यहां तक कि ऑनलाइन भी थाईलैंड के वीज़ा के लिए आवेदन किया जा सकता है.
भारत गर्मी तड़पाने वाली होती है जबकि थाईलैंड का मौसम बिल्कुल अनुकूल होता है. अधिकतम तापमान 33 तक जाता है. भारतीयों को थाईलैंड का स्पाइसी स्ट्रीट फूड भी ख़ूब रास आता है. भारतीय यहां आईस्क्रीम और सीफूड जमकर खाते हैं. बैंकॉक में कई बड़े बुद्ध मंदिर हैं.
थाईलैंड टूरिस्ट वेबसाइट का कहना है कि बड़ी संख्या में वैसे भारतीय भी यहां आते हैं जो सेक्स की चाहत मन में संजोए रहते हैं.
हालांकि इस वेबसाइट का कहना है कि भारतीय और अरब के पुरुषों की छवि थाईलैंड में बहुत ठीक नहीं है.
वैसे थाईलैंड में ज़्यादातर भारतीय पुरुषों की छवि ये भी है ये ग़रीब मुल्क से हैं इसलिए ज़्यादा पैसे लेकर नहीं आते हैं.
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