लोकसभा में कांग्रेस के नेता नियुक्त होने वाले रवनीत सिंह बिट्टू कौन हैं, उनके बारे में सबकुछ जानिए
नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को लुधियाना से पार्टी सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को लोकसभा में अपने दल का नेता नियुक्त किया है। उन्हें पार्टी ने यह पद पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अधीर रंजन चौधरी की जगह दिया है। 45 साल के बिट्टू पिछले तीन बार से लगातार पंजाब से लोकसभा के लिए चुने जा रहे हैं और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं। वो पहली बार 2009 में पंजाब के आनंदपुर साहिब से लोकसभा के लिए चुने गए थे, जबकि 2014 और 2019 का चुनाव उन्होंने लुधियाना से जीता था। खास बात ये है कि पार्टी ने पंजाब से ही आने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की वरिष्ठता को दरकिनार कर उन्हें इस पद के लिए ज्यादा उपयोगी माना है। इससे पहले उन्हें तिवारी की लुधियाना सीट भी दी जा चुका है।
पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते हैं बिट्टू
रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं, जिनकी 1995 में आतंकियों ने हत्या कर दी थी। बिट्टू को पिछले साल अगस्त में ही पार्टी ने सदन में कांग्रेस का व्हिप नियुक्त किया था। वह पंजाब में कांग्रेस के पहले युवा नेता हैं, जिन्हें लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर प्रदेश युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। इस समय दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन में भी वह पार्टी के प्रमुख चेहरा रहे हैं और उन्होंने सड़क से लेकर संसद तक इस मामले में पार्टी की ओर से सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है। पंजाब युवक कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने ड्रग एडिक्शन के खिलाफ अभियान चलाया था और 2011 में राज्य में ड्रग प्रिवेंशन बोर्ड स्थापित करने के लिए भूख हड़ताल आयोजित करने में सहायता की थी। यही नहीं पंजाब में वो नशा मुक्ति के लिए 2010 में 45 दिनों तक 1,500 किलोमीटर की पद यात्रा भी निकाल चुके हैं।
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किसान आंदोलन के दौरान धमकाने के आरोप में दर्ज हुई थी एफआईआर
10 सितंबर, 1975 को लुधियाना के कोटली गांव में जन्मे बिट्टू ने 2019 के चुनावी हलफनामे में खुद को 12वीं पास बताया है और आमतौर पर पेशे से खुद को वो किसान बताते हैं। उनका पुश्तैनी पायल गांव भी पास में ही है। पिछले लोकसभा के चुनावी हलफनामे के मुताबिक उनके पास कु 5.43 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। इसमें से 5.08 करोड़ रुपये अचल और 34.61 लाख रुपये की चल संपत्ति थी। इसके अलावा उन्होंने खुद पर 33.31 लाख रुपये की देनदारी भी बताया था। उस एफिडेविट के मुताबिक तब उनके खिलाफ 3 आपराधिक केस दर्ज थे। जबकि, मौजूदा किसान आंदोलन के दौरान भी उनके खिलाफ एक न्यूज चैनल के खिलाफ भड़काऊ बयान देने और धमकाने के लिए दिल्ली के संसद मार्ग थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। वो दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों के साथ लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे थे।
कृषि कानूनों के खिलाफ सेंट्रल हॉल में कर चुके हैं नारेबाजी
तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर वो हाल में तब ज्यादा चर्चा में आए थे, जब बजट सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के दौरान वो संसद के सेंट्रल हॉल में पहुंच गए और जोरदार नारेबाजी करने लगे। उन्होंने 'काले कानून वापस लो' के नारे लगाए थे। फिर नारेबाजी करते हुए वह सेंट्रल हॉल से निकल गए थे। वो किसान नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज होने का विरोध कर रहे थे। हालांकि, बाद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान उन्होंने स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव पर आंदोलनकारी किसानों को भड़काने का आरोप लगाकर सनसनी मचा दी थी। शायद उनके इन्हीं तेवरों को देखते हुए पार्टी ने उन्हें अधीर रंजन की जगह कमान सौंपी है। क्योंकि, उनके सिख होने की वजह से यह कांग्रेस की मौजूदा रणनीति और पंजाब की राजनीति के लिए भी फिट बैठती है।
सिंघू बॉर्डर पर उनपर कथित रूप से हमला किया गया था
पिछले दिनों वह एकबार तब भी सुर्खियों में आए थे, जब दिल्ली के सिंघु बॉर्डर के पास 'जन संसद' कार्यक्रम के दौरान के साथ कथित तौर पर धक्का-मुक्की की गई थी। दावे के मुताबिक उस घटना में उनकी गाड़ी भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। हालांकि, खुद बिट्टू ने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों ने लाठियों और हथियारों से साजिश के तहत उन्हें निशाना बनाने की कोशिश की थी। उन्होंने दावा किया था कि वह इसलिए उस कार्यक्रम से निकल गए, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि किसानों के आंदोलन में किसी तरह की कोई बाधा आए। उस घटना में उनके साथ अमृतसर के कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह और पार्टी विधायक कुलबीर सिंह जीरा भी थे। बाद में बिट्टू ने यहां तक दावा किया था कि उनपर हुआ हमला जानलेवा था।
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