क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

करौली हिंसा: कौन हैं 15 मुसलमानों को हिंसक भीड़ से बचाने वालीं मधुलिका सिंह

राजस्थान की राजधानी जयपुर से क़रीब 180 किलोमीटर दूर बसे करौली शहर में कपड़ों की दुकान चलाने वालीं मधुलिका ने करौली में हिंसा वाले दिन कई दुकानदारों को अपने घर में छुपाया.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
मधुलिका सिंह सीताबाड़ी इलाक़े के सिटी मॉल में कपड़ों की दुकान चलाती हैं
Sagar Sharma
मधुलिका सिंह सीताबाड़ी इलाक़े के सिटी मॉल में कपड़ों की दुकान चलाती हैं

राजस्थान की राजधानी जयपुर से क़रीब 180 किलोमीटर दूर बसे करौली शहर में जली हुई दुकानें और चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा दो अप्रैल की शाम को हुई हिंसा की कहानी बयान कर रहे हैं.

दो अप्रैल की शाम नव संवत्सर के अवसर पर निकाली जा रही शोभायात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा की ख़बरें शहरभर में फैल चुकी थीं. दुकानों, मकानों, वाहनों में आगजनी, पत्थरबाजी और भगदड़ का माहौल बना हुआ था.

लेकिन, उसी समय घटना स्थल फूटकोटा से क़रीब सौ मीटर की दूरी पर सीताबाड़ी के सिटी मॉल में आपसी सौहार्द और भाईचारे की मिसाल भी बन रही थी.

मधुलिका सिंह सीताबाड़ी इलाक़े के सिटी मॉल में कपड़ों की दुकान चलाती हैं. उन्होंने बताया, "हिंदू और मुस्लमान दोनों ही डर गए थे, ये सभी दुकानदार थे. उन्हें डर था कि बाहर निकले तो हम पर हमला हो जाएगा. इस डर से उन्होंने मुझे कहा कि दीदी हमें बचा लो."

ये बताते हुए भी मधुलिका के चेहरे पर डर के भाव दिखते हैं. वह कहती हैं, "मैं अपनी दुकान में बैठी थी. तभी हल्ला सुनाई दिया. मैंने बाहर निकल कर देखा तो दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर रहे थे. मेरे पूछने पर वो बोले कि बाहर लड़ाई हो गई है. बाहर से कुछ लोगों को आते देख दुकानदार डर गए थे. तब उन्होंने आ कर मुझसे कहा कि दीदी हमें बचा लो."

"मैं सबको शॉपिंग सेंटर के ऊपर बने अपने घर के इसी कमरे (जहां बैठकर उन्होंने बीबीसी से बात की) में ले आई. उनमें 15 मुस्लिम भाई और तीन हिंदू भाई थे. उनको चाय पानी पिलाया और फिर हिम्मत बंधाई कि जब तक सब कुछ ठीक नहीं होता यहीं रहो. क़रीब तीन घंटों तक हम सब इसी एक कमरे में बैठे रहे."

मधुलिका कहती हैं, "हिंदू-मुस्लिम वाली कोई बात नहीं थी. ऐसा ख्याल तक दिमाग़ में नहीं आता. हम सब भाई-बहन और इंसान ही हैं."

उनके भाई संजय सिंह जादौन भी कहते हैं, "सभी डरे हुए थे और बाहर के माहौल से खौफ़जदा भी. लेकिन, उनको विश्वास था कि वह यहां सुरक्षित हैं. इसी छोटे-से कमरे में हम सभी बीस लोग बैठे हुए थे."

मधुलिका सिंह कहती हैं कि लोगों में डर तो अब भी है कि कहीं फिर कुछ घटना न हो जाए इसलिए बहुत कम लोग बाहर निकल रहे हैं.

राजस्थान करौली हिंसा: नेत्रेश शर्मा की गोद में यह बच्ची कौन थी? - ग्राउंड रिपोर्ट

कर्नाटक में क्या सबसे भ्रष्ट सरकार है, राहुल गांधी के दावे का फ़ैक्ट चेक

कौन हैं मधुलिका सिंह

एक सामान्य कदकाठी वालीं 46 साल की मधुलिका सिंह जादौन एक कारोबारी हैं. वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं.

उनका ससुराल सवाई माधोपुर ज़िले में है लेकिन वह अपने पति की मृत्यु के बाद सीताबाड़ी में अपने मामा के बेटे संजय सिंह जादौन के घर ही रहती हैं.

मधुलिका सिंह के दो बेटे हैं. वह बताती हैं, "बड़ा बेटा एमए की पढ़ाई और नौकरी की तैयारी कर रहा है. वह दुकान पर मेरी मदद भी करता है जबकि छोटा बेटा बीए की पढ़ाई कर रहा है."

मधुलिका अपने बेटों की पढ़ाई का ख़र्च दुकान से ही चलाती हैं. उनके भाई संजय सिंह का सीताबाड़ी में ही तीन मंज़िल का शॉपिंग सेंटर है, जिसमें किराए पर दुकानें दी हुई हैं. इनमें अधिकतर दुकानें मुस्लिम समुदाय के लोगों की हैं.

मधुलिका इस शॉपिंग सेंटर की दूसरी मंज़िल पर राजपूती ड्रेस की दुकान चलाती हैं. वह सबसे ऊपर की मंज़िल पर बने घर में अपने भाई के परिवार के साथ रहती हैं.

मध्य प्रदेश में मस्जिदों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाने की तैयारी क्यों?

राजस्थान के करौली में सांप्रदायिक हिंसा के बाद तनाव, लगाया गया कर्फ़्यू

'हमें पीटते और दुकानों में आग लगा देते'

"दीदी ने जब ऊपर घर में आने के लिए बोला, तब हमें विश्वास हो गया था कि अब चिंता की बात नहीं है. अगर दीदी ऐसा नहीं करती तो बहुत मुश्किल हो जाती. बाहर जाते तो हो सकता है हमें पीटा जाता या हमारी दुकानों में आग लगाई जा सकती थी."

हिंसा के उन हालात के बारे में बताते हुए दुकानदार दानिश की आंखें जैसे मधुलिका सिंह का शुक्रिया अदा कर रहीं थीं.

शॉपिंग सेंटर में बेसमेंट से ऊपर वाली मंज़िल पर दानिश की कपड़ों की दुकान हैं. वह कहते हैं कि उस समय दुकान में पेंट का काम चल रहा था. दो सेल्समेन भी थे. हमने जल्दबाज़ी में दुकान बंद कर बाहर निकलना चाहा लेकिन, हालात जल्द ही भगदड़ में तब्दील हो गए.

वह बताते हैं, "दीदी अगर नहीं बचातीं तो फिर सोचते कि क्या करना है, हमें फिर बाहर जाना ही पड़ता और न जाने हमारे साथ क्या होता. उस समय बाहर भगदड़ मची हुई थी. गमछा बांधे हुए लोग आ रहे थे. बताया जा रहा था कि रैली में पथराव हुआ है. अचानक से बहुत ज़्यादा हल्ला होने लगा."

"घरवालों के फोन आ रहे थे. उन्हें हमारी चिंता हो रही थी. लेकिन, माहौल शांत होने पर ही हम रात में बाहर निकले."

शॉपिंग सेंटर की सीढ़ियां चढ़ते ही ठीक सामने अज़हरुद्दीन की दुकान है. अज़हरुद्दीन कहते हैं, "ये (मधुलिका) आयीं फिर हम इनके साथ ऊपर गए और कमरे में बैठे. बाहर जाने के लिए रास्ता नहीं था, हम रात में गए."

दानिश और अज़हरुद्दीन की तरह ही अन्य मुस्लमान और हिंदू दुकानदार उस दिन के बारे में बताते हुए परेशान तो ज़रूर थे लेकिन, उनको तसल्ली भी थी कि वह इस भीड़ से बच गए.

अगर हिंसक भीड़ शॉपिंग सेंटर में घुस आती तब आप क्या करतीं? इस सवाल पर मधुलिका पूरे विश्वास के साथ तेज़ आवाज़ में कहती हैं, "हम राजपूत हैं और इतनी शक्ति तो है कि इन भाइयों को बचा लेते."

साथ ही वह कहती हैं, "हिंसक भीड़ अंदर कैसे आ जाती, मैंने दुकानदार भाइयों की सुरक्षा के लिए सबसे पहले शॉपिंग सेंटर के चैनल गेट को ही बंद कर उस पर ताला लगा दिया था, उसके बाद सबको ऊपर अपने घर में ले गई."

कब और कैसे हुई हिंसा

दो अप्रैल 2022 को पहले नवरात्र और नव संवस्तर के अवसर पर हिंदू संगठन शोभायात्रा (बाइक रैली) निकल रहे थे.

शोभायात्रा शाम चार बजे रामस्नेही कीर्तिमान उच्च प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुई और ये पुरानी कलेक्ट्री सर्किल, हाथी घटा, कोतवाली थाना, हिंडौन दरवाजा, हटरिया चौराहा, फूटाकोट चौराहा, हटवाड़ा बाजार, ट्रक यूनियन और पुरानी कलेक्ट्री सर्किल होते हुए रामस्नेही विद्यालय पर ही समाप्त होनी थी.

लेकिन, क़रीब सवा पांच बजे जैसे ही यह बाइक रैली डीजे पर गाने बजाते हुए मुसलमान बहुल इलाक़ों फूटकोट चौराहा और हटवाड़ा बाज़ार पहुंची तो कथित विवादित गानों से लोग भड़क उठे. फिर पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई और लोगो भागने लगे.

क़रीब 70 मोटरसाइकिल में तोड़फोड़ की गई और कई में आग लगा दी गई. दुकानों समेत कुछ मकानों में भी आग लगाई गई. अभी भी हिंसा में घायल एक शख़्स जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती है. हालांकि, हिंसा की घटना में करीब 35 लोग घायल हुए थे.

पुलिस
Getty Images
पुलिस

अब कैसा है करौली का माहौल

करौली शहर के सभी प्रमुख मार्गों और शहर में प्रवेश के हिंडौन गेट, बीजलपुर गेट, मासलपुर गेट समेत सभी छह गेटों पर चौबीस घंटे पुलिसकर्मी तैनात हैं. जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई है और पुलिस गश्त भी जारी है. आसपास के ज़िलों में भी पुलिस सतर्क है.

हिंसा के हफ़्ते भर तक सख़्त कर्फ़्यू के बाद प्रशासन ने बाज़ारों को खोलने के लिए सुबह छह से शाम छह बजे तक छूट दी है. शहरवासी और आसपास के ग्रामीण अब बाज़ारों से खरीदारी करने पहुंच रहे हैं.

हिंसा के 14 दिन बाद भी 17 अप्रैल तक धारा 144 और बारह घंटे की छूट के साथ कर्फ़्यू लागू है. इंटरनेट सेवाएं ज़रूर बहाल की गई हैं. शहर में इस घटना पर चर्चाएं जारी हैं. हिंसा के दौरान फूटकोटा, हटवाड़ा बाज़ार समेत अन्य जगहों पर जलाई गईं दुकानें जस की तस हैं. जला हुआ सामान, क्षतिग्रस्त घर और दुकानें का मलबा बिखरा पड़ा है.

राजस्थान: दौसा की डॉक्टर अर्चना की 'ख़ुदकुशी' से बवाल, घटना का पूरा सच क्या है: ग्राउंड रिपोर्ट

बीरभूम हिंसा: 'एक ही कमरे में छिपे बैठे थे महिलाएं-बच्चे, हमलावरों ने लगा दी आग'

अब तक हुई कार्रवाई

करौली हिंसा मामले में राज्य सरकार ने निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख़्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है. सरकार ने घटना के दस दिन बाद करौली ज़िला कलेक्टर का तबादला कर दिया है.

करौली ज़िला पुलिस अधीक्षक (एसपी) शैलेंद्र सिंह इंदौलिया ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "एफ़आईआर में दर्ज नामजद अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया गया है. पीड़ितों की ओर से भी एफ़आईआर दर्ज कराई गई है. शहर में बारह घंटे की छूट के साथ क़र्फ्यू जारी है."

एसपी इंदौलिया ने कहा, "शहर के हालात नियंत्रण में हैं और फ़िलहाल पूरी तरह शांति है. क़ानून व्यवस्था के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात हैं."

पुलिस के अनुसार क़रीब पचास से ज़्यादा अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया गया है. शोभायात्रा के दौरान पुलिस की ओर से की गई वीडियोग्राफी के आधार पर भी एक एफ़आईआर दर्ज की गई है और उसमें नामजद अधिकतर अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया है. हालांकि, कई अभियुक्त अब भी फ़रार हैं जिनकी तलाश जारी है.

हिजाब मामले में आए फ़ैसले पर क्या कहती हैं छात्राएं और राजनेता

हिजाब मामले में कहाँ-कहाँ उबाल? कोलकाता से जयपुर तक विरोध

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
Getty Images
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

घटना पर राजनीति और बयानबाजी

राज्य में दिसंबर 2023 में होने वाले विधानसभी चुनावों से पहले इस गंभीर घटना पर राजनीति भी गर्मा गई है. दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी इस घटना को लेकर एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं.

बीजेपी और प्रदेश कांग्रेस ने अपने-अपने नेताओं की जांच कमेटी गठित की है. दोनों ने एक ही दिन करौली का दौरा कर अपनी-अपनी पार्टी को रिपोर्ट सौंपी. बीजेपी ने राज्य सरकार पर एक तरफ़ा कार्रवाई और निर्दोष लोगों को फंसाने का आरोप लगाया.

जबकि, कांग्रेस की जांच कमेटी ने भाजपा पर मामले को धार्मिक रंग देने का और हिंसा को लेकर हिंदू संगठनों के ऊपर आरोप लगाए हैं.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती एक पीड़ित से मिलने पहुंचे. जबकि, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे करौली में पीड़ितों से मिलने पहुंची.

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने दो दिवसीय राजस्थान दौरे से दो अप्रैल को दिल्ली लौट आए थे. उसी शाम करौली में हिंसा हुई. इससे जुड़े एक सवाल पर मीडिया से बातचीत में सीएम अशोक गहलोत ने कहा, "ये आग लगाने आते हैं." इस बयान के बाद से भाजपा भी आक्रामक हो गई.

बीजेपी नेता आंदोलन और रैलियों के लिए करौली पहुंचने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन, उन्हें करौली सीमा से ही पुलिस ने हिरास्त में ले लिया.

बीजेपी लगातार सरकार पर दबाव बना रही है और आगामी चुनाव में करौली हिंसा को बड़ा मुद्दा बनाने से चूकना नहीं चाहती है. जबकि, कांग्रेस जल्द इस हिंसा की जांच कर मामला शांत करने की कोशिश कर रही है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Who is Madhulika Singh who saved 15 Muslims from Karauli Violence
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X