कृष्ण भक्ति ऐसी कि ऑस्ट्रेलिया में ही बना दिया 'वृंदावन', PM मोदी ने किया इस विदेशी 'राधा' का जिक्र
नई दिल्ली, 28 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (रविवार) 'मन की बात' से देश को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने अमृत महोत्सव, आयुष्मान भारत योजना, युवाओं के सफल स्टार्टअप और विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी नून नदी का जिक्र किया। इसी दौरान पीएम मोदी ने मथुरा-वृंदावन की भव्यता और दिव्यता की बात करते हुए ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली एक कृष्ण भक्त 'जगतारिणी दासी' की प्रशंसा की। आइए जानते हैं, कौन हैं 'जगतारिणी दासी'?
कौन हैं ऑस्ट्रेलिया की जगतारिणी दासी?
हिंदू धर्म और यहां के धर्म ग्रंथों, भगवानों में शुरू से ही विदेशियों की आस्था रही है। कई ऐसे लोग भारत आए जो यहां की संस्कृति और भक्ति से इतना प्रभावित हुए कि यही को होकर रह गए। मथुरा-वृंदावन हो या बनारस सभी हिंदू धर्म स्थलों पर आपको विदेश से आए लोग भगवान की आस्था में लीन दिखाई देंगे। 'जगतारिणी दासी' भी भारत 13 साल पहले आई थीं, यहां की संस्कृति और भगवान कृष्ण से वो इतना प्रभावित हुईं की उनमें भी भारत बसने लगा।
वृंदावन में गुजारे 12 साल
मूल रूप से ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न की रहने वाली जगतारिणी की शुरू से ही थिएटर और कला के प्रति रुचि थी, इसलिए 21 साल की उम्र में सिडनी चली गईं। घर से निकलने की यह उनकी शुरुआत थी उन्होंने दुनिया के कई देशों का भ्रमण किया और अंत में भारत पहुंची। वह नई दिल्ली से दो घंटे की दूरी पर बसे पवित्र शहर वृंदावन (कृष्ण की भूमि) में बस गईं, वहां जगतारिणी ने 12 वर्ष भक्तिवेदांत गुरुकुल में गुजारे।
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जगतारिणी ने जीता लोगों का विश्वास
वृंदावन के लोगों, उनकी परंपराओं, खान-पान ने जगतारिणी को आकर्षित किया। उन्हें इस पवित्र और प्राचीन भूमि के बारे में पूरी जानकारी और भ्रमण करने में भी ज्यादा समय नहीं लगा। 1980 के दशक में एक आधुनिक पश्चिमी महिला के लिए वृंदावन की संस्कृति में प्रवेश करना मुश्किल था, लेकिन जगतारिणी ने लोगों का विश्वास जीतने के लिए कड़ी मेहनत की।
वृंदावन के बारे में जगतारिणी ने सब जाना
जगतारिणी को वृंदावन के लोगों ने भी धीरे-धीरे अपनाया और उन्हें उनके जीवन और आध्यात्मिक परंपराओं में झांकने का मौका दिया। वह पूरे दिन भगवान कृष्ण की कहानियां सुना करती थीं। समय के साथ वह खुद वृंदावन में एक गाइड के तौर पर बाहर से आने वाले लोगों को शहर घुमाने लगीं, जो उन्होंने सीखा उसे अपने लोगों से साझा किया। वृंदावन के अलावा जगतारिणी आस-पास के कई धर्मस्थलों की यात्रा की।
ऑस्ट्रेलिया में सताने लगी थी वृंदावन की याद
वह भारत के स्थानीय परंपराओं के बारे में जानने और सीखने के लिए उत्सुक रहा करती थीं। भारत घूम लेने के बाद उनका परिवार 1996 में ऑस्ट्रेलिया वापस चला गया। जगतारिणी के लिए वृंदावन उनका घर बन गया था, उन्हें यहां की याद सताने लगी। एक दिन भारत से उनके एक दोस्त ने अपने निधन से पहले जगतारिणी को भगवान कृष्ण की करीब एक इंच जितनी छोटी मूर्ति भेजी।
ऑस्ट्रेलिया में ही बनाया वृंदावन
इस गिफ्ट ने उन्हें फिर से कला को अपनाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद जगतारिणी ने अपनी कला के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया में ही वृंदावन का छोटा से स्वरूप तैयार कर दिया। ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में हुए कई छोटे प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीतकर जगतारिणी को तब लंदन में अपने काम को प्रदर्शित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। इसके बाद उन्होंने पर्थ में 'द सेक्रेड इंडिया गैलरी' बनाने के ऊपर काम शुरू किया।
पीएम मोदी ने भी की तारीफ
पर्थ में जगतारिणी और उनके अन्य सहयोगियों द्वारा बनाए गए 'द सेक्रेड इंडिया गैलरी' में भारत के महत्वपूर्ण धर्मस्थलों की झलक देखने को मिलती है। मन की बात में पीएम मोदी ने उनके जगतारिणी के कृष्ण भक्ति का तारीफ की और कहा, पर्थ में उनकी सेक्रेड आर्ट गैलरी में आने वाले लोगों को जगतारिणी की कला देखने और भारत के प्रसिद्ध तीर्थ शहरों वृंदावन, नबद्वीप और पुरी की परंपराओं और संस्कृतियों की झलक देखने को मिलती है।
'वृंदावन धाम की महिमा' के लिए काम कर रहीं
जगतारिणी दासी के पति भूरिजाना दास 'द सेक्रेड इंडिया गैलरी' प्रोजेक्ट के प्रमुख हैं। वह भी हिंदू धर्म से बेहद प्रभावित हैं। वर्तमान में जगतारिणी दासी 'गोपीनाथ धर्म' के नाम से लोकप्रिय एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं, जिसका उद्देश्यो लोगों को 'वृंदावन धाम की महिमा' के बारे में बताना है। पीएम मोदी ने कहा कि जगतारिणी का अद्भुत प्रयास वास्तव में हमें कृष्ण भक्ति की शक्ति दिखाता है। उन्होंने कहा, 'मैं उन्हें इस काम के लिए शुभकामनाएं देता हूं।'
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