जानिए RSS के उस प्रोग्राम के बारे में विस्तार से, जहां जाने वाले हैं प्रणब दा
नई दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं, जहां इस बात से बीजेपी विरोधी दल परेशान हैं वहीं कांग्रेसी खेमा चुप्पी साधे बैठा है, हां उसकी बेचैनी को जरूर महसूस किया जा सकता है लेकिन पार्टी अभी इस बारे में कोई भी बयान देने से बच रही है। सबको पता है कि कांग्रेस, आरएसएस की धुरविरोधी है। गौरतलब है कि प्रणब मुखर्जी 7 जून को नागपुर में आरएसएस के उन कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे, जिन्होंने संघ के शैक्षिक पाठ्यक्रम का तृतीय शिक्षा वर्ग पास किया है।
क्या है ये कार्यक्रम
आपको बता दें कि आरएसएस का 'स्वयं शिक्षा वर्ग' संघ का एक सालाना कैंप है, जो कि संघ के कार्यालय नागपुर के स्मृति मंदिर प्रागंण में आयोजित होता है। इस कार्यक्रम में खास ट्रेनिंग पाने वाले छात्रों को संबोधित किया जाता है। यह ट्रेनिंग पास करने वाले ही आगे चलकर पूर्णकालिक प्रचारक बनते हैं। स्वयंसेवकों की दिनचर्या काफी कठिन होती है, इसलिए इसकी ट्रेनिंग लेने वाले छात्रों को काफी कठिन चीजों से गुजरना पड़ता है।
क्या होती है स्वयंसेवकों की दिनचर्या
- सुबह 4 बजे उठ कर दैनिक कार्य से निपटना
- एकात्मकता स्त्रोतम में ध्यान और महापुरुषों की जानकारी
- शारीरिक व्यायाम और शारीरिक प्रशिक्षण का अभ्यास
- संघ के विशेषज्ञों व प्रचारकों द्वारा विभिन्न विषयों पर परिचर्चा
- शाम को पुन: डेढ़ घंटे तक शारीरिक व्यायाम व प्रशिक्षण राष्ट्रभक्ति गीत
- रात दस बजे दीप निवारण की घोषणा के साथ ही सो जाना
नागपुर में होता है तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का समापन
नागपुर में होता है तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का समापन, इन छात्रों को शारीरिक प्रशिक्षण के तहत निम्नलिखित चीजें सिखाई जाती हैं........
- नियमित व्यायाम
- सूर्य नमस्कार
- दंड (लाठी) युद्ध
- मार्शल आर्ट्स
- संगीत का प्रशिक्षण
- ड्रम बजाने
- सेक्साफोन बजाने
- बांसुरी बजाने
- बिगुल बजाने
RSS के कार्यक्रम में 'प्रणव दा'
आरएसएस के शिक्षा विभाग के इस कार्यक्रम में 45 साल से कम आयु के 800 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। शिक्षा विभाग के 25 दिन से चल रहे कैंप का समापन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी करेंगे। आपको बता दें कि लगभग पिछले एक दशक से संघ के शिक्षा वर्ग समापन समारोह कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर किसी भिन्न मतों वाले व्यक्तित्व को बुलाने की परंपरा रही है।
पहले भी मिला था न्यौता
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मुखर्जी को तब भी न्योता दिया था, जब वह राष्ट्रपति थे। हालांकि मुखर्जी ने तब यह कहते हुए मना कर दिया था कि संवैधानिक पद पर रहते हुए वह इस आयोजन में शामिल नहीं हो सकते हैं लेकिन अब प्रणब मुखर्जी ने ये न्यौता स्वीकार किया है क्योंकि वो अभी किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं है।