WhatsApp:जासूसी विवाद के बीच नया फीचर, यूजर्स को दिया ये खास अधिकार
नई दिल्ली- जासूसी से जुड़े विवादों के बीच व्हाट्सऐप ने अपने यूजर्स को अधिक अधिकार देने वाला नया फीचर जारी किया है। इस फीचर में यूजर्स को यह चुनने की सुविधा मिलती है कि उनको कौन लोग उसे किसी ग्रुप में नहीं जोड़ सकते हैं। अपने यूजर्स की प्राइवेसी के लिए व्हाट्सऐप ये नया अपडेट दिया है। इसमें यूजर्स को ये अधिकार मिलेगा कि उसके कॉन्टैक्ट उन्हें किसी ग्रुप में नहीं जोड़ सकेंगे। फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी ने बुधवार को बताया कि दुनियाभर के यूजर्स को यह अपडेट जारी किया जा रहा है। यानि अब कोई किसी यूजर्स को तभी किसी ग्रुप में जोड़ सकेगा जब वह इसकी सहमति देगा।
'नोबॉडी' की जगह 'माई कॉन्टैक्ट्स एक्सेप्ट' का विपल्प मिला
कंपनी को इस समय पेगासस स्पाइवेयर की वजह से दुनियाभर में कड़ी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। भारत में तो इस मामले में सीधे सरकार को दखल देना पड़ गया है, जबकि यहां जासूसी के शिकार हुए लोगों की संख्या बहुत ही कम है। लेकिन, इसको बहुत बड़ा खतरा इसलिए माना जा रहा है कि इसके जरिए भारत समेत कई देशों के पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को टारगेट किया गया है। अब एक ब्लॉगपोस्ट के जरिए व्हाट्सऐप ने बताया है कि शुरुआती स्तर पर इस अपडेट को लेकर यूजर्स से मिली प्रतिक्रियाओं के बाद वह 'नोबॉडी' की जगह 'माई कॉन्टैक्ट्स एक्सेप्ट' का विपल्प उपलब्ध करा रहा है।
अप्रैल में भी दिया था एक विकल्प
नए फीचर के जरिए व्हाट्सऐप के उपयोगकर्ता अपने उन कॉन्टैक्ट्स का चुनाव कर सकते हैं, जिनके ग्रुप से जुड़ने में उनकी दिलचस्पी नहीं है। इससे पहले कंपनी ने अप्रैल महीने में यूजर्स को जो कंट्रोल उपलब्ध कराए थे, उसमें उपयोगकर्ता ये तय कर सकता है कि उसको कौन किसी ग्रुप में जोड़ सकता है। बता दें कि इन पाबंदियों से पहले यूजर्स को कोई भी बिना उसकी सहमति से किसी भी ग्रुप में जोड़ सकता था। लेकिन, नई सुविधा के तहत यूजर्स अपने उन कॉन्टैक्स को खुद ही चुन सकेंगे, जो बिना उनकी सहमति के उन्हें किसी ग्रुप में नहीं जोड़ सकेंगे। बाकी दो विकल्प 'माई कॉन्टैक्ट्स' और 'एवरीवन' पहले की तरह ही कायम रहेंगे।
'पेगासस स्पाइवेयर' की वजह से चर्चा में है
बता दें कि पूरे विश्व में व्हाट्सऐप यूजर्स की तादाद करीब डेढ़ सौ करोड़ है। अकेले भारत में ही इनकी संख्या 40 करोड़ है। इतने बड़े विशाल नेटवर्क के सुरक्षित संचालन के लिए कंपनी को बार-बार अपने फीचर में सुधार करते रहना पड़ता है। खासकर पेगासस स्पाइवेयर ने जो जोखिम पेश किया है, उससे कंपनी की साख पर भी बट्टा लगा है और उसका ऐक्शन फिलहाल की सरकारों की जांच के दायरे में है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर की गई है, जिसमें आईटी एक्ट के तहत वॉट्सऐप, फेसबुक और एनएसओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और एनआईए से जांच कराने की मांग की गई है। उधर अमेरिका की एक अदालत में चल रहे केस के दौरान कंपनी ने खुद ये खुलासा किया है कि पेगासस नाम के स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर दुनियाभर के 1400 लोगों की जासूसी की गई है।
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