हाय-तौबा मचा देगा रेलवे में 100 प्रतिशत एफडीआई
नई दिल्ली। केंद्र सरकार 9 जुलाई को रेल बजट और 11 जुलाई को आम बजट पेश करने वाली है। इस बजट के दौरान रेलवे विभाग को कई बड़ी सौगातें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है जबकि आम बजट में कई वस्तुओं के दाम महंगे हो सकते हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है कि बजट आने से पहले ही वह इतनी चर्चाएं बटोर रहा है। शायद ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि नरेंद्र मोदी ने सरकार की कमान थाम ली है।
सूत्रों के मुताबिक, बजट सत्र 7 जुलाई से शुरू हो सकता है। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले महीने प्रस्तावित जापान यात्रा को टाल दिया है। संसद के बजट सत्र के मद्देनजर ऐसा किया गया है। मोदी को जुलाई के पहले हफ्ते में ही जापान जाना था।
बुलेट ट्रेन तो फिलहाल देश के लिए एक सपना है, लेकिन रेल मंत्री सदानंद गौड़ा 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों का एलान इस रेल बजट में कर सकते हैं। एक हिंदी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अरुणोंद्र कुमार व सदस्यों के सामने बुधवार को सेमी हाई स्पीड ट्रेन का प्रेजेंटेशन दिया गया।
केंद्र सरकार रेलवे विभाग में एफडीआई 100 प्रतिशत लागू करने की योजना बना रही है। यह एक अच्छी बात है लेकिन इसे और अच्छा बनाने के लिए भारतीय रेलवे को अपने काम करने का तरीका बदलना होगा। मोटे तौर पर कहा जाए तो एफडीआई लागू होने के बाद यदि रेलवे विभाग अपने काम के तरीके को नहीं बदलता है तो केंद्र सरकार भारी कर्ज में डूब सकता है।
रेलवे में एफडीआई का पहला फायदा
सरकार ने फंड की कमी से जूझते रेलवे सेक्टर में एफडीआई लाने की दिशा में अपनी कोशिशें तेज कर दी है। इस कदम का मकसद हाई स्पीड ट्रेनों और माल ढुलाई के लिए बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है।
रेलवे में एफडीआई का पहला फायदा
रेलवे में एफडीआई लागू होने के बाद भारतीय ट्रेनों का ढांचा भी बदला जाएगा ताकि यात्रियों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
रेलवे में एफडीआई का तीसरा फायदा
रेलवे में एफडीआई लागू होने से तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सभी रूटों पर पर्याप्त ट्रेनें चलाई जाएंगी। अभी तक फंड और बजट की कमी के चलते ऐसा नहंी यिका जा सका है।
रेलवे एफडीआई से चौथा फायदा
तीव्र गति की रेल तथा मालगाड़ियों के लिये अलग रेलवे लाइन के अलावा उपनगरी गलियारों तथा बंदरगाहों, खानों तथा बिजली इकाइयों को जोड़ने वाली रेलवे लाइनों में विदेशी की अनुमति देने का भी प्रस्ताव है। हालांकि मौजूदा यात्री तथा माल ढुलाई के नेटवर्क को विदेशी निवेशकों के लिये नहीं खोला जाएगा।
एफडीआई मंजूरी से जनरल कोच को लगेगा झटका
एफडीआई की मंजूरी के बाद रेलवे विभाग के अंतर्गत जनरल कोच को तगड़ा झटका दिया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो जनरल कोच को भी स्लीपर कोच की भांति ही बनाया जाएगा।
एफडीआई से पहले काम का तरीका बदलना जरूरी
केंद्र सरकार यदि रेलवे में एफडीआई को लाती है तो पहले उसे अपने काम करने का तरीका बदलना होगा नहीं तो रेलवे विभाग भारी कर्ज में डूब सकता है।
आखिर
रेलवे
विभग
ही
क्यों
चुना
गया
100
प्रतिशत
एफडीआई
के
लिए:
सूत्रों
के
अनुसार,
‘विभाग
रेलवे
में
उन
सभी
क्षेत्रों
पर
गौर
कर
रहा
है
जहां
एफडीआई
की
मंजूरी
दी
जा
सकती
है।
इससे
रेलवे
के
विकास
में
मदद
मिलेगी।
देश
की
आर्थिक
वृद्धि
को
गति
देने
के
लिये
रेलवे
प्रमुख
क्षेत्र
है
और
इसमें
जीडीपी
में
एक
प्रतिशत
वृद्धि
करने
की
क्षमता
है।'
तीव्र गति की रेल तथा मालगाड़ियों के लिये अलग रेलवे लाइन के अलावा उपनगरी गलियारों तथा बंदरगाहों, खानों तथा बिजली इकाइयों को जोड़ने वाली रेलवे लाइनों में विदेशी की अनुमति देने का भी प्रस्ताव है। हालांकि मौजूदा यात्री तथा माल ढुलाई के नेटवर्क को विदेशी निवेशकों के लिये नहीं खोला जाएगा।