महाराष्ट्र पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अजित पवार की वैधानिक स्थिति क्या है ?
नई दिल्ली- मंगलवार को महाराष्ट्र में बहुमत परीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। लेकिन, देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद इसकी अभी जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन, विधानसभा के अंदर पूर्व उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार की वैद्यानिक स्थिति क्या है इसको लेकर अभी भी असमंजस बरकरार है। दरअसल इस मसले पर दो थ्योरी है। एक के मुताबिक विधानसभा में अभी भी अजित पवार ही एनसीपी विधायक दल के नेता हैं। जबकि, दूसरी थ्योरी ठीक इसके विपरीत है। लेकिन, एक बात साफ है कि इसपर फैसला लेने का सारा दारोमदार अब विधानसभा स्पीकर पर निर्भर है। हालांकि, एक पत्ता शरद पवार के पास भी है और देखने वाली बात ये है कि वो आगे अपने भतीजे पर क्या रुख अपनाते हैं।
अजित पवार पर असमंजस बरकरार
महाराष्ट्र विधानसभा के सचिव इंचार्ज राजेंद्र भागवत ने मंगलवार को कहा है कि जयंत पाटिल को एनसीपी विधायक दल का नेता माना जाय या नहीं, यह निर्णय करने का विशेषाधिकार स्पीकर को प्राप्त है। उन्होंने कहा, "हमें एनसीपी से उसके नए सदन के नेता के बारे में एक पत्र प्राप्त हुआ है, लेकिन स्पीकर (तब हरिभाऊ बागड़े) को इसपर फैसला लेना है।" हालांकि, विधानसभा के एक सूत्र ने दावा किया कि स्पीकर ने अभी तक अजित पवार को हटाकर जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता बनाने के एनसीपी के फैसले को स्वीकार नहीं किया है। गौरतलब है कि पार्टी से बगावत करने के चलते एनसीपी ने अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटाने का फैसला किया था और उनकी जगह जयंत पाटिल को कमान सौंप दी गई थी।
अगले स्पीकर करेंगे फैसला ?
दरअसल, बीजेपी नेता हरिभाऊ बागड़े पिछले पांच साल तक महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर रहे हैं और अभी नई विधानसभा ने कार्य करना शुरू नहीं किया है, इसलिए वे अभी भी स्पीकर पद पर कायम हैं। लेकिन,बुधवार को बीजेपी विधायक कालिदास कोलंबकर प्रोटेम स्पीकर की भूमिका निभाते हुए विधायकों को शपथ दिलाएंगे। लेकिन, पवार मामले पर फैसला अगले स्पीकर के जिम्मे ही छोड़ा जाएगा, इसकी पूरी संभावना लगती है। हालांकि, पहले मुंबई बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा था कि क्योंकि अभी नई विधानसभा अस्तित्व में नहीं है, इसलिए "अजित पवार एनसीपी विधायक दल के नेता हैं और सरकार गठन के लिए बीजेपी को समर्थन देने के उनके फैसले को सुप्रीम माना जाना चाहिए।............यह विवादास्पद नहीं हो सकता है....." लेकिन, फडणवीस के इस्तीफे के बाद सारी परिस्थितियां बदल चुकी हैं और इसलिए इसपर अगला फैसला या तो शरद पवार या नए स्पीकर को ही लेना होगा।
पार्टी का फैसला सुप्रीम होना चाहिए- एक्सपर्ट
इस मामले में पहले एक दूसरा पक्ष भी था, वह ये कि जब एनसीपी ने अपना नेता बदल दिया तो अजित पवार नहीं, जयंत पाटिल को ही विधायक दल का नेता माना जाएगा और उन्हें ही विधायकों को व्हिप जारी करने का अधिकार मिलेगा। संविधान के जानकार उल्हास बागपत ने भी कहा कि अगर एनसपी ने अजित पवार को हटाकर जयंत पाटिल को चुन लिया है तो उन्हें ही विधायक दल का नेता माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये सच है कि विशेषाधिकार स्पीकर के पास है, लेकिन वे (तत्कालीन स्पीकर बागड़े) अजित पवार की जगह जयंत को नेता चुनने के पार्टी के फैसले को नजरअंदाज नहीं कर सकते। उनके मुताबिक, "जब संविधान बन रहा था, तभी यह साफ कर दिया गया था कि किसी व्यक्ति के हितों से ज्यादा पार्टी को महत्त्व मिलनी चाहिए। इसलिए, अगर सरकार बनाने के लिए बीजेपी को समर्थन देने के अजित पवार के फैसले पर एनसीपी की राय अलग है तो पार्टी का फैसला सुप्रीम है। " बहरहाल, सौ बात की एक बात ये है कि अब महाराष्ट्र की सारी राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी हैं और हो सकता है कि भतीजे पवार भी चाचा के खेमे में वापस लौट जाएं।
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