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तीन तलाक: जो बात कुरान में गलत है वह शरीयत में सही नहीं हो सकती है- सुप्रीम कोर्ट

तीन तलाक मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, जो बात कुरान में गलत वह शरीयत में सही नहीं हो सकती है, कुरान से उपर कुछ भी नहीं

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए ना सिर्फ इस अवैध बताया बल्कि यह भी कहा कि जो बात कुरान में गलत है वह शरीयत में सही नहीं हो सकती है। यह टिप्पणी इस मामले की सुनवाई कर रहे पांच जजों में से एक जस्टिस कूरियन ने की है। जस्टिस कूरियन ने तीन तलाक के इस फैसले का अधिकतर हिस्सा लिखा है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच में से तीन जजों ने तीन तलाक को गैरकानूनी बताया है।

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कुरान से उपर कुछ भी नहीं

कुरान से उपर कुछ भी नहीं

जस्टिस जोसेफ कूरियन ने कहा कि जो बात धर्मशास्त्र में गलत है वह कानून के हिसाब से भी गलत है, जो कुरान के लिए गलत है वह शरीयत के लिए सही नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस्लामिक नियमों के चार स्रोत हैं, लेकिन कुरान इन सब में शीर्ष पर है, लिहाजा कुरान से इतर बाकी सारे स्रोत इसके पूरक हैं। ऐसे में जो कुरान में लिखा है उससे अधिक कुछ भी नहीं हो सकता है।

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 कुरान में तीन तलाक के बारे में बताया गया है

कुरान में तीन तलाक के बारे में बताया गया है

कुरान में विवाह के के बारे में विशेष रुप से बताया गया है। इसमें तलाक से पहले की जरूरी बातों को भी साफ किया गया है। तीन तलाक कुरान के नियमों के खिलाफ है लिहाजा यह शरीयत का उल्लंघन है। जैसा कि शमीमारा में कहा गया है कि तलाक तभी होना चाहिए जब आपने मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की हो।

धर्म की आजादी सर्वोपरि

धर्म की आजादी सर्वोपरि

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस कूरियन ने कहा कि तीन तलाक शरिया का हिस्सा नहीं है, धर्म की आजादी सर्वोपरि है, लेकिन तीन तलाक धर्म का हिस्सा है मैं इस बात से सहमत नहीं हूं। 1937 के एक्ट के बाद कुरान से इतर किसी भी तरह की मान्यता अवैध है। मैं पूरी तरह से शमीमारा के नियम से सहमत हूं और इसको बढ़ावा देता हूं। जो कुछ भी धर्मशास्त्रों में गलत है वह कानून के अनुसार भी गलत है। जो कुरान में गलत है वह शरियत में सही नहीं हो सकता है।

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English summary
The Supreme Court on Tuesday observed that what is bad in Quran cannot be good in Shariat.
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