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Cyclone: कोरोना संकट के बीच भारत पर मंडराया 'चक्रवाती तूफान' का खतरा, जानिए कब-कहां देगा दस्तक

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नई दिल्ली। पूरा भारत इस वक्त कोरोना संकट से जंग लड़ रहा है तो वहीं इसी बीच देश पर 'चक्रवाती तूफान' का खतरा मंडरा रहा है, स्काईमेट वेदर के मुताबिक ये तूफान मई महीने में देश में दस्तक दे सकता है, बंगाल की खाड़ी से उठने वाला तूफान ओडिशा और उसके आस-पास के राज्य के लिए मुसीबत बन सकता है, आशंका जताई जा रहा है कि ये 'चक्रवाती तूफान' 1 मई से तीन मई के बीच आ सकता है, ऐसा माना जाता है कि साल में दो बार ऐसा होता है, जब 'चक्रवाती तूफान' आने की आशंका होती है।

 'चक्रवाती तूफान' का खतरा

'चक्रवाती तूफान' का खतरा

पहला मौका मानसून सीजन से पहले और दूसरा मानसून सीजन के बाद, और मानसून सीजन आम तौर पर जून के पहले महीने में शुरू होता है, इस बार ये तूफान मानसून से पहले आने की आशंका व्यक्त करता है।

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क्या होता 'साइक्लोन'

क्या होता 'साइक्लोन'

भारत और दुनिया भर के तटीय इलाके हमेशा 'चक्रवाती तूफानों' से जूझते रहते हैं, 'चक्रवाती तूफानों' को अलग-अलग जगह के हिसाब से अलग-अलग नाम दिया जाता है, साइक्लोन, हरिकेन और टाइफून, ये तीनों ही चक्रवाती तूफान होते हैं।

भारत में आते हैं 'साइक्लोन'

उत्तरी अटलांटिक महासागर और उत्तरी-पूर्वी प्रशांत महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफान हरिकेन कहलाते हैं, उत्तरी-पश्चिमी प्रशांत महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों को टायफून और दक्षिणी प्रशांत और हिन्द महासागर में आने वाले तूफानों को साइक्लोन कहा जाता है, भारत में आने वाले चक्रवाती तूफान दक्षिणी प्रशांत और हिन्द महासागर से ही आते हैं इसलिए इन्हें 'साइक्लोन' कहा जाता है।

क्यों आते हैं चक्रवात?

क्यों आते हैं चक्रवात?

पृथ्वी के वायुमंडल में हवा होती है, समुद्र के ऊपर भी जमीन की तरह ही हवा होती है, हवा हमेशा उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्र की तरफ बहती है, जब हवा गर्म हो जाती है तो हल्की हो जाती है और ऊपर उठने लगती है, जब समुद्र का पानी गर्म होता है तो इसके ऊपर मौजूद हवा भी गर्म हो जाती है और ऊपर उठने लगती है, इस जगह पर निम्न दाब का क्षेत्र बनने लग जाता है, आस पास मौजूद ठंडी हवा इस निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए इस तरफ बढ़ने लगती है, इस वजह से यह हवा सीधी दिशा में ना आकर घूमने लगती है और चक्कर लगाती हुई उस जगह की ओर आगे बढ़ती है,इसे 'चक्रवात' कहते हैं।

ऐसे रखें जाते हैं तूफानों के नाम

ऐसे रखें जाते हैं तूफानों के नाम

दरअसल 1945 के पहले तक किसी भी 'चक्रवात' का कोई नाम नहीं होता था, लिहाजा मौसम वैज्ञानिकों को बहुत दिक्‍कत होती थी। जब वो अपने अध्‍ययन में किसी चक्रवात का ब्‍योरा देते थे, या चर्चा करते थे, तब वर्ष जरूर लिखना होता था और अगर वर्ष में थोड़ी सी भी चूक हो गई, तो सारी गणित बदल जाती थी। इसी दिक्‍कत से निबटने के लिये 1945 से विश्‍व मौसम संगठन ने 'चक्रवातों' को नाम देने का निर्णय लिया और तब से अब तक जितने भी 'चक्रवात' आये उन्‍हें अलग-अलग नाम दिए जाते हैं।

सम संख्या वाले वर्षों में तूफानों के नाम महिलाओं के नाम

वैसे इससे पहले कहा जाता है कि तूफानों के नाम नाविक अपनी प्रेमिकाओं के नाम पर रखते थे इसलिए शुरुआत में औपचारिक रूप से तूफानों के नाम महिलाओं के नाम से होते थे, 70 के दशक से यह परंपरा बदल गई और तूफानों के नाम महिला और पुरुष दोनों के नाम पर होने लगे, सम संख्या वाले वर्षों में तूफानों के नाम महिलाओं के नाम और विषम संख्या वाले वर्षों में यह पुरुषों के नाम पर होता है।

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English summary
Imagining cyclone threat to Odisha during the COVID crisis is simply spine chilling. Like the deadly cyclone Fani in May last year, is Bay of Bengal brewing up another to throw at Odisha in May this year.
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