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बिजली के बाद जल संकट! देश के140 जलाशयों में 60 में पानी कम, ताजा स्थिति जानिए

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नई दिल्ली, 25 मई: देश में अभी-अभी बहुत गहरा बिजली संकट छाया हुआ था। हालांकि, यह समस्या अभी पूरी तरह से टली नहीं है और इंद्र देवता की थोड़ी मेहरबानी से कुछ इलाकों में शायद कुछ समय के लिए मांग में कुछ कमी आई है। इस बीच इस बार मार्च से ही शुरू हुई भीषण गर्मी ने कुछ राज्यों में बड़े जल संकट की स्थिति पैदा कर दी है। राजधानी दिल्ली में तो पानी की किल्लत एक राजनीतिक विवाद का विषय भी बना हुआ है। यमुना में जल स्तर काफी नीचे जा चुका है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक उसकी निगरानी में देश में जो 140 बड़े जलाशय हैं, उनमें से 60 में जल स्तर कम है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि पूरे देश में एक जैसी स्थिति है। लेकिन, फिर भी बहुत से राज्यों में काफी दिक्कत हो रही है।

140 जलाशयों में क्षमता का 32% ही पानी उपलब्ध

140 जलाशयों में क्षमता का 32% ही पानी उपलब्ध

केंद्रीय जल आयोग देश के 140 बांधों या जलाशयों में मौजूद पानी का साप्ताहिक आधार पर स्टोरेज का लाइव आकलन करता है। इसी आधार पर साप्ताहिक बुलेटिन के जरिए देश में जल संकट की स्थिति की जानकारी दी जाती है। इन 140 बांधों की कुल लाइव स्टोरेज क्षमता 175.957 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है। जो कि उस 257.812 बीसीएम का करीब 68.25% है, जो कि देश में अनुमानित क्षमता विकसित की जानी है। पिछले 19 मई को जो केंद्रीय जल आयोग की ओर से जो बुलेटिन जारी किया गया था, उसके हिसाब से उस दिन इन जलाशयों में कुल 56.877 बीसीएम पानी उपलब्ध था, जो कि इनकी कुल स्टोरेज क्षमता का सिर्फ 32% है।

60 बड़े डैम में पानी कम

60 बड़े डैम में पानी कम

केंद्रीय जल आयोग के इस साप्ताहिक बुलेटिन ने सबसे ज्यादा टेंशन ये दिया है कि देश के इन 140 जलाशयों में से 60 बड़े डैम में पानी बहुत ही ज्यादा तेजी से कम हुआ है। इसकी वजह मार्च से पड़ रही देश के ज्यादातर हिस्सों में अत्यधिक गर्मी बताई जा रही है। लेकिन, जलाशों में पानी घटने की वजह से मुख्य रूप से 10 से अधिक राज्यों के ज्यादा प्रभावित होने की बात सामने आ रही है।

राजस्थान, पंजाब, हिमाचल में 10 वर्षों के औसत से कम पानी

राजस्थान, पंजाब, हिमाचल में 10 वर्षों के औसत से कम पानी

सीडब्ल्यूसी ने अपने उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान को रखा है। यहां आयोग 9 बांधों की निगरानी करता है, जिसके पास कुल लाइव स्टोरेज क्षमता 19.37 बीसीएम की है। लेकिन, 19 तारीख को यहां कुल क्षमता का 28% पानी था। लेकिन, पिछले साल इसी अवधि में यहां सिर्फ 20% ही पानी बच गया था। जबकि, अगर पिछले 10 वर्षों का औसत निकालें तो इस दौरान यहां कुल क्षमता का 31% स्टोरेज होता है और इस साल यह इससे अभी ही नीचे जा चुका है।

पूर्वी राज्यों में स्थिति ज्यादा गंभीर

पूर्वी राज्यों में स्थिति ज्यादा गंभीर

इसी तरह पूर्वी क्षेत्र यानी झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नगालैंड और बिहार में भी पिछले साल और बीते 10 वर्षों में इसी अवधि के मुकाबले में स्थिति बहुत बुरी हो चुकी है। इस इलाके में एजेंसी के पास कुल 21 बांध हैं, जहां 19 मई को उनकी क्षमता का सिर्फ 23% पानी उपलब्ध था। जबकि, पिछले साल इसकी उपलब्धता 25% थी और बीते 10 वर्षो में तो यह औसतन 31% रहता था। यह हालात की गंभीरता की ओर इशारा कर रहे हैं.

गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले साल से कम पानी

गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले साल से कम पानी

इसी तरह पश्चिमी क्षेत्र में, जिसमें कि गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य आते हैं। सीडब्ल्यूसी की निगरानी में कुल 46 जलाशय हैं, जिनकी कुल लाइव स्टोरेज क्षमता 36.41 बीसीएम है। 19 मई को यहां इसका 34% पानी उपलब्ध था। जबकि, पिछले साल इसी अवधि में इन जलाशयों में 37% पानी बचा था। हालांकि, पिछले 10 वर्षों का औसत देखें तो यह आकंड़ा 24% पानी स्टोरेज होने का रहा है।

यूपी, उत्तराखंड,एमपी और छत्तीसगढ़ में स्थिति बेहतर

यूपी, उत्तराखंड,एमपी और छत्तीसगढ़ में स्थिति बेहतर

जहां तक बात सीडब्ल्यूसी के सेंट्रल रीजन की है, तो इसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य शामिल हैं और यहां के 25 जलाशय केंद्रीय जल आयोग की निगरानी में हैं। इन बांधों की कुल क्षमता 47.39 बीसीएम की है। जबकि, 19 मई को यहां इसका 35% पानी बचा हुआ था। जो कि पिछले साल इस अवधि के दौरान और पिछले 10 वर्षों के भी औसत 30% से 5% अधिक है।

दक्षिण भारतीय राज्यों में हालात थोड़ी ज्यादा ठीक

दक्षिण भारतीय राज्यों में हालात थोड़ी ज्यादा ठीक

इसी तरह पिछले साल इसी अवधि या फिर बीते 10 वर्षों के औसत के मुकाबले इस साल दक्षिण भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में भी हालात बुरे नहीं हैं। क्योंकि, यहां के 39 जलाशयों में कुल क्षमता का 34% पानी अभी भी उपलब्ध है, जो कि बीते 10 वर्षों के औसत 18% से करीब दोगुना है। वैसे पिछले साल भी इन राज्यों में 32% पानी उपलब्ध था।

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समय पर आया मानसून तो ज्यादा नहीं बिगड़ेंगे हालात

समय पर आया मानसून तो ज्यादा नहीं बिगड़ेंगे हालात

जाहिर है कि देश के कुछ राज्यों में हालात बड़े जल संकट की ओर इशारा कर रहे हैं, क्योंकि जिन राज्यों में पानी की किल्लत है, वहां मानसून पहुंचने में अभी लंबा समय लगने वाला है और मानसून से पहले की बारिश भी अपेक्षा से कम हो रही है। लेकिन, अगर पूरे देश को समग्र रूप से देखें तो 19 मई को कुल 140 जलाशयों में 56.877 बीसीएम पानी उपलब्ध था, जो कि कुल क्षमता का 32% है। अगर पिछले साल से तुलना करें तो यह तब ( 53.543 बीसीएम) के मुकाबले 106% और पिछले 10 वर्षों में इसी अवधि ( औसतन 44.414 बीसीएम) के मुकाबले 128% अधिक है। (कुछ तस्वीरें-फाइल)

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English summary
Central Water Commission: only 32 percent water is available in 140 reservoirs of the country, the situation is more serious in the states of eastern and western India.
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