तो क्या बुलंदशहर को हिंसा की आग में झोंकने की रची गई थी साजिश?
नई दिल्ली। यूपी के बुलंदशहर में गोकशी की खबर पर भड़की हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और 20 साल के युवक सुमित की जान चली गई। बुलंदशहर में फैली हिंसा को लेकर कई बातें लगातार सामने आ रही हैं। मृतक सुबोध कुमार सिंह की बहन का कहना है कि अखलाक केस की जांच करने के कारण उनके भाई की जान ली गई। उन्होंने पुलिस पर साजिश रचने का आरोप भी लगाया है। वहीं, दूसरी तरफ ये भी आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं बुलंदशहर को हिंसा की आग में जलाने की साजिश तो नहीं की गई थी?
'गाय का मांस खेत में लटक रहा था'
बुलंदशहर हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध के अलावा 20 साल के सुमित की भी मौत हुई थी। इंस्पेक्टर सुबोध को सिर में गोली मारी गई थी। इस दौरान कुछ चीजों को लेकर आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं बुलंदशहर की शांति भंग करने की कोशिश तो नहीं की जा रही थी? घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने वाले तहसीलदार राजकुमार भास्कर ने न्यूज 18 से बातचीत में बताया, 'गन्ने के खेत में गोवंश का मांस लटक रहा था जैसे तार पर कपड़े लटक रहे हों। हैरानी हो रही है कि जिस प्रकार ये मांस लटका हुआ था और गोकशी को लेकर सूबे में जो हालात हैं, उसे देखते हुए इसमें शामिल लोग खुले में मांस को लटकाने का काम तो नहीं करेंगे। ये दूर से ही दिखाई दे रहा था।'
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तुरंत ही पहुंचे थे विहिप और बजंरग दल के लोग
वे कहते हैं कि इसकी खबर लगते ही शिवसेना, हिंदू युवा वाहिनी और बजरंग दल के लोग वहां आ धमके और विरोध प्रदर्शन करने लगे। वे लोग ट्रैक्टर लाकर मांस को लेकर हाईवे पर जाकर विरोध करने की कोशिश कर रहे थे। घटना का समय और रिएक्शन देखकर अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है कि इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं थी? क्योंकि सोमवार को बुलंदशहर में लगभग 10 लाख मुस्लिम इज्तेमा के आखिरी दिन दुआ में शामिल होने के लिए एकत्र हुए थे और उन्हें बुलंदशहर-गढ़मुक्तेश्वर राजमार्ग से ही उसी दिन लौटना था।
बुलंदशहर की शांति भंग करने की साजिश?
तहसीलदार कहते हैं,'पुलिस चाहती थी कि मामला शांत हो जाए और लोगों से बार-बार अपील की जा रही थी। 100 से अधिक लोग पुलिस थाने आ पहुंचे थे और देखते ही देखते ये संख्या बढ़ने लगी थी। भीड़ उग्र होती जा रही थी। उग्र भीड़ ने स्याना पुलिस स्टेशन पर हमला बोल दिया और इस दौरान कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। भीड़ ने कुछ वाहनों को आग के हवाले भी कर दिया। पुलिस ने इसके बाद भीड़ पर लाठीचार्ज किया।' इसी दौरान इंस्पेक्टर सुबोध को गोली लगी और उनकी मौत हो गई। डीएम ने कहा कि सुबोध बहादुरी से लड़े और वे उन लोगों में थे जो किसी भी मुश्किल परिस्थिति से घबराते नहीं थे। वहीं पुलिस ने हिंसा की घटना के पीछे किसी भी धार्मिक एंगल को खारिज कर दिया है।
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'सोमवार के घटनास्थल पर कुछ नहीं था'
न्यूज 18 की खबर के मुताबिक, गन्ने के खेत में गोवंश का मांस मिलने की खबर पर एक ग्रामीण ने कहा कि सोमवार के पहले वहां कुछ नहीं था और ना ही किसी को वहां देखा गया जो इसमें शामिल रहा हो। बता दें कि बुलंदशहर के बवाल के बाद अब पुलिस उन लोगों की तलाश कर रही है जिन्होंने हिंसा भड़काने का काम किया और पुलिस पर हमले के लिए उकसाने का काम किया।