विवेक तिवारी का 'कातिल' खुद को समझता है सिंघम, फेसबुक पर लिखा 'पीके, द रॉयल जाट'
विवेक की हत्या के मुख्य आरोपी प्रशांत चौधरी का कहना है कि उसने आत्मरक्षा में गोली चलाई, जबकि पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का केस दर्ज किया है।
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नई दिल्ली। यूपी की राजधानी लखनऊ में एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या के मामले में पुलिस ने अब नई एफआईआर दर्ज की है, जिसमें आरोपी दोनों पुलिसकर्मियों को नामजद किया गया है। विवेक की हत्या के मुख्य आरोपी प्रशांत चौधरी का कहना है कि उसने आत्मरक्षा में गोली चलाई, जबकि पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का केस दर्ज किया है। आरोपी प्रशांत चौधरी अपनी निजी जिंदगी में भी खुद को हिंदी फिल्म के 'सिंघम' से कम नहीं समझता था। प्रशांत के फेसबुक प्रोफाइल को देखकर उसके इस अंदाज का पता चलता है।
पति-पत्नी दोनों लखनऊ में तैनात
आरोपी पुलिस कांस्टेबल प्रशांत चौधरी के दबंग अंदाज का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर अपने नाम के आगे लिखा हुआ है- 'पीके, द रॉयल जाट'। प्रशांत चौधरी यूपी के बुलंदशहर के रहने वाला है। 2015 में प्रशांत यूपी पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुआ था। प्रशांत की पत्नी राखी चौधरी भी यूपी पुलिस में कांस्टेबल हैं और लखनऊ के गोमतीनगर थाने में ही तैनात हैं। प्रशांत की पत्नी का कहना है कि उनके पति ने आत्मरक्षा में गोली चलाई लेकिन उनकी ओर से मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।
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प्रशांत के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम
प्रशांत चौधरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद यूपी पुलिस के कुछ जवान उसके समर्थन में भी उतर आए हैं। आरोपी कॉस्टेबल को बचाने के लिए यूपी पुलिस के सिपाहियों ने सोशल मीडिया पर मुहिम शुरू कर दी है। सिपाहियों ने यूनियन बनाकर आरोपी प्रशांत चौधरी और संदीप का केस लड़ने का निर्णय लिया है। सोशल मीडिया के जरिए यूपी के सभी सिपाहियों से अपील की गई है कि प्रशांत और संदीप को बचाने के लिए उनके खाते में 5 करोड़ जमा करवाने हैं और इसके लिए सभी सिपाही सहयोग करें। इसके लिए बैंक अकाउंट नंबर भी जारी किया गया है।
शुक्रवार की रात हुई थी हत्या
आपको बता दें कि बीते शुक्रवार की रात लखनऊ के गोमतीनगर इलाके में एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी की मौत पुलिस की गोली से हो गई थी। इस घटना से यूपी की सियासत में भी भूचाल आ गया। आरोप है कि घटना के बाद पुलिस अधिकारियों ने शुरुआत में इस मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन जब मामला मीडिया में आया तो आनन-फानन में आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेजा गया। इस मामले में पहले अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन बाद में दोनों पुलिसकर्मियों को नामजद किया गया।
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