
Iran Hijab Protest के समर्थन में भारतीय महिला, UP में डॉक्टर ने खुद काटे अपने बाल, वीडियो वायरल
Iran Hijab Protest के समर्थन में भारतीय महिला ने अपने बाल काट डाले। UP में रहने वाली डॉ अनुपमा भारद्वाज ने खुद अपने बाल काटने का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया जो वायरल हो रहा है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद हिजाब पर नए सिरे से चर्चा हो रही है। इससे पहले अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा भी Iran Hijab Protest में शामिल महिलाओं का समर्थन कर चुके हैं। बता दें कि भारत में कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब के इस्तेमाल पर विवाद हो चुका है। मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि ये मामला देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

हिजाब और भारत
दरअसल, Hijab Protest भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक के अलावा ईरान में भी हो रहा है। स्कूलों में बच्चियों के हिजाब पहनने का मामला देश की सबसे बड़ी अदालत के समक्ष लंबित है। इसी बीच इस्लामिक देश की पहचान रखने वाले ईरान में हिजाब को लेकर हो रहे प्रोटेस्ट के कमरे में सुर्खियां बटोर रही हैं। आंदोलन का आलम यह है पिछले 18 दिनों से आक्रोशित है और आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

सबके सामने काट डाले बाल
ईरान की महिलाओं का कहना है कि हिजाब उनकी ड्रेसिंग में अनिवार्यता नहीं होना चाहिए। आंदोलन के असर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है भारत के भी अच्छे-खासे तबके से ईरान के हिजाब आंदोलन को समर्थन मिल रहा है। समर्थन देने की इसी कवायद में भारत की डॉक्टर अनुपमा भारद्वाज ने ईरान की महिलाओं के समर्थन में अपने बाल काट दिए।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
डॉक्टर अनुपमा की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। अनुपमा का कहना है कि ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का समर्थन करने के लिए उन्होंने अनोखा तरीका चुना। ईरान में प्रोटेस्ट के दौरान महसा अमिनी की मौत के खिलाफ उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर 15A में रहने वाली डॉ अनुपमा ने खुद के बाल काटते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। उनका यह सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो रहा है। इसमें उन्होंने ईरान में हिजाब के खिलाफ सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों का अनोखे अंदाज में समर्थन किया है।
नीचे देखें वायरल वीडियो--
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प्रदर्शन ईरान में पिछले 18 दिनों से
बता दें कि ईरान में हिजाब के विरोध में जो आंदोलन हो रहा है इसमें हाई स्कूल की लड़कियां भी बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं। इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट में बताया गया कि 17 साल की निका शहकारमी गत सितंबर में अचानक गायब हो गईं। परिजनों को निका शहकारमी की डेड बॉडी 10 दिन के बाद वहां की मोर्चरी यानी मुर्दाघर से मिली। इसके बाद पुलिस हिरासत में महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान का हिजाब विरोधी आंदोलन उग्र हो गया। प्रदर्शन पिछले 18 दिनों से लगातार जारी है।

2019 के बाद सबसे बड़ा प्रोटेस्ट
गौरतलब है कि 22 साल की युवती महसा अमीनी की मौत विगत 16 सितंबर को पुलिस हिरासत में हुई। इसके बाद विरोध प्रदर्शन की खबरें आनी शुरू हुईं। रिपोर्ट्स में लिखा जा रहा है कि साल 2019 के बाद ईरान में हिजाब विरोध सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है। दिलचस्प है कि बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने भी हिजाब के विरोध का समर्थन किया है।

ज्वालामुखी की तरह फटेगी आवाज
प्रियंका ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि ईरान और दुनिया भर में महिलाएं अपनी आवाज उठा रही हैं। दुनिया के सामने अपने बाल काट रही हैं। महसा अमीनी के लिए कई दूसरे तरीकों से भी विरोध किया जा रहा है। आक्रोशित प्रियंका ने कहा, ईरान की पुलिस ने जिस तरह युवा को मौत की नींद सुला दिया वह कथित तौर पर महसा अमीनी के हिजाब गलत तरीके से पहनने के कारण हुआ, जो किसी भी रूप में स्वीकार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, जो आवाज जबरदस्ती बंद की जाए या खामोशी के बाद सामने आने वाली आवाज ज्वालामुखी की तरह फटती है।
महिलाएं अधिकारों के लिए लड़ रहीं
महिलाओं की उर्जा के प्रति आगाह करते हुए प्रियंका ने चेतावनी दी और कहा, महिलाओं की आवाज न रुकेगी और ना दबेगी। प्रियंका ने विरोध प्रदर्शन में शामिल महिलाओं की एनर्जी से स्तब्ध होने की बात भी लिखी थी। पितृसत्तात्मक ढांचे को चैलेंज करने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए सड़कों पर उतरीं ईरान की महिलाओं के समर्थन में प्रियंका ने कहा, अपने जीवन को जोखिम में डालना आसान नहीं लेकिन आप साहसी महिलाएं हैं जो हर दिन ऐसा कर रही हैं। भले इसके लिए कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।

हिजाब पर पूरी कंट्रोवर्सी
गौरतलब है कि मीडिया रिपोर्ट में हिजाब को धार्मिक प्रथा का अनिवार्य अंग बताने जैसी बातें भी सामने आई हैं। हिजाब को लेकर प्रोग्रेसिव समाज के कई लोग आक्रामक भी रहे हैं। कर्नाटक हिजाब प्रकरण के बाद ईरान का आंदोलन लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। एक तबके का कहना है कि किसे क्या पहनना है इसे किसी दूसरे को फैसला नहीं करना चाहिए। कुछ लोगों का कहना है महिलाओं को हिजाब से मुक्ति मिलनी चाहिए। कई लोग इसे धार्मिक प्रैक्टिस का अंग बताते हुए कहते हैं कि कपड़े और धर्म के पालन की संविधान और कानून इजाजत देते हैं।