विनोद खन्ना की पाकिस्तान से जुड़ी वो आखिरी ख्वाहिश, जो अब पूरी नहीं हो सकती
खन्ना चाहते थे कि एक बार जाकर अपने बाप-दादा के घर को देखें। उन्होंने कई मर्तबा इस बाबत कोशिश भी लेकिन वो पेशावर कभी ना जा सके।
नई दिल्ली। विनोद खन्ना अब इस दुनिया में नहीं हैं। एक फिल्म स्टार से लेकर एमपी और केंद्र में मंत्री तक का सफर उन्होंने किया। उनकी पहचान एक ऐसे शख्स की भी रही, जिसने जो चाहा वो किया, चाहे परिवार को छोड़ देने की बात हो या करियर के उरूज पर फिल्में छोड़ सन्यासी बन जाने की। इसके बावजूद इस स्टार की आखिरी ख्वाहिश उनके साथ अधूरी ही चली गई।
देखना चाहते थे पेशवार का अपना घर
अभिनेता से नेता बने विनोद खन्ना पाकिस्तान के पेशावर स्थित अपने पुश्तैनी घर को देखना चाहते थे, 1946 में खन्ना का जन्म यहीं हुआ था लेकिन 1947 में विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। खन्ना चाहते थे कि एक बार जाकर अपने बाप-दादा के घर को देखें। उन्होंने कई मर्तबा इस बाबत कोशिश भी लेकिन वो पेशावर कभी ना जा सके।
पेशवार से मिलने आए वहीदुल्ला ने जाहिर की थी ख्वाहिश
खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में सांस्कृतिक धरोहर परिषद के महासचिव शकील वहीदुल्ला ने 2014 में अपनी भारत यात्रा के दौरान खन्ना से मुलाकात की थी। शकील वहीदुल्ला ने कहा, अपने ऑटोग्राफ में खन्ना ने पेशावर के लोगों को शुभकामनाएं दी थी और अपने पुश्तैनी शहर का सफर करने की ख्वाहिश जाहिर की थी।
पेशावर में आज भी है खन्ना का घर
फिल्म इतिहासकार मुहम्मद इब्राहीम जिया ने कहा कि पेशावर में खन्ना का पुश्तैनी घर मौजूद है और ऑल पाकिस्तान वूमेंस एसोसिएशन द्वारा इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
पाकिस्तान में होगा खन्ना का सम्मान
खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में सांस्कृतिक धरोहर परिषद के महासचिव शकील वहीदुल्ला सांस्कृतिक धरोहर परिषद जल्द ही खन्ना के सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन करेगा। उन्होंने कहा है कि विनोद खन्ना जैसे सितारे से जुड़ाव पेशवार के लिए सम्मान की बात है।
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