Video: कैसे शहीदों को ले जा रही गाड़ियों पर पथराव करते हैं कश्मीर में लोग
सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा है एक वीडियो जिसमें शहीदों के शवों को ले जा रही गाड़ियों पर हो रहा है पथराव। एनकाउंटर के बाद होने वाली पत्थरबाजी से परेशान है इंडियन आर्मी।
श्रीनगर। मंगलवार को बांदीपोर में इंडियन आर्मी और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में एक ऑफिसर समेत तीन जवान शहीद हो गए। मंगलवार को कश्मीर के दो अलग-अलग हिस्सों में एनकाउंटर जारी था। एक एनकाउंटर जहां नॉर्थ कश्मीर के हाजिन में था तो वहीं दूसरा एनकाउंटर हंदवाड़ा में चल रहा था। हैरानी की बात है कि शहादत का कश्मीर में कोई मोल नहीं है। उल्टे शहीदों के शवों को लेने आई गाड़ियों पर पत्थरबाजी होती है।
एक मेजर और तीन जवान शहीद
जो एनकाउंटर हुए हैं उसमें इंडियन आर्मी ने चार आतंकियों को मार गिराया लेकिन मेजर एस दाहिया समेत तीन जवान शहीद हो गए। वहीं बांदीपोर में पैराट्रूपर धर्मेंद्र कुमार, राफइलमैन रवि कुमार और गनर आशुतोष कुमार शहीद हो गए। इस एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर हो रह है। इस वीडियो के मुताबिक जब शहीदों के शवों को लेने के लिए सेना की गाड़ियां पहुंची तो उन गाड़ियों पर पथराव होने लगा। रविवार की सुबह कुलगाम जिले के फ्रिसाल इलाके के नागबल में एक ऑपरेशन चल रहा था। लेकिन यहां पर भीड़ जमा थी और सुरक्षाबलों पर चारों तरफ से पथराव हो रहा था। इस एनकाउंटर में चार आतंकी मारे गए तो सेना के दो जवान भी शहीद हो गए।माना जा रहा है कि यह वीडियो उसी घटना का है क्योंकि बांदीपोर एनकाउंटर में जो भी जख्मी जवान थे उन्हें एयरलिफ्ट किया गया था। इस वीडियो के आने के बाद से ही गुस्से का माहौल है। आर्मी में सीनियर ऑफिसर ने वन इंडिया को बताया है कि इस तरह का वीडियो देखने के बाद काफी तकलीफ होती है। लेकिन उन्हें अपनी ड्यूटी भी पूरी करनी है और वह हर मुश्किल के बाद भी हर हाल में वह अपनी ड्यूटी करते रहेंगे।
पुलिस और सीआरपीफ करे मदद
इंडियन आर्मी और जम्मू कश्मीर पुलिस ने लोगों को एडवाइजरी जारी करके एनकाउंटर वाली जगह से दूर रहने को कहा था। इस पथराव के बीच ही बिजबेरा के रहने वाले 22 वर्ष के मुश्ताक इब्राहीम इत्तू को गोली लग गई और उनकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि इत्तू जैसी घटनाएं फिर न हों इसके लिए लोगों को लगातार चेतावनी दी जाती है और उनसे कहा जाता है कि वह एनकाउंटर साइट के आसपास न जाएं। दूसरी ओर इंडियन आर्मी ने भी अब अपील की है कि एक ऐसा रेड सिग्नल हो जो इन घटनाओं पर लगाम लगा सके। इंडिया टुडे की रिपोर्ट की मानें तो यह सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस का काम है कि वह भीड़ को नियंत्रित करे। आर्मी ऑपरेशन के तुरंत बाद ही उस जगह से निकल जाती है। सुरक्षा बलों को एक रेड लाइन तय करनी पड़गी जिसके आगे प्रदर्शनकारियों को आने की इजाजत नहीं होनी चाहिए।