Video: लद्दाख में चीन बॉर्डर पर जवानों के लिए स्मार्ट कैंप्स, -40 डिग्री तापमान में भी मिलेगी सुरक्षा
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में इस समय तापमान जीरो के करीब पहुंचने लगा है और चीन के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर टकराव जारी है। यहां पर तैनात जवानों को कोई परेशानी न हो इसके लिए सेना ने कड़ाके की ठंड में उनके रहने के लिए इस सेक्टर में इंतजाम पूरे कर लिए हैं। जो इंतजाम किए गए हैं उसके तहत हजारों जवानों को फॉरवर्ड एरियाज में तैनात किया जा सकता है। इन तैयारियों का मकसद पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की तरफ से किसी भी दुस्साहस का कड़ा जवाब देना है।
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पड़ने लगी है खून जमा देने वाली सर्दी
लद्दाख में कुछ जगहों में इस समय तापमान -40 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला गया है और इन्हीं मुश्किल जगहों पर जवान तैनात हैं। ऊंचाई वाले इन इलाकों में सर्दियों में 30 से 40 फीट तक बर्फबारी भी होती है। सूत्रों की तरफ से बताया गया है, 'छोटे कैंप्स जिनसमें इंटीग्रेटेड फैसिलिटीज दी गई हैं, उन्हें पिछले कुछ वर्षों में यहां पर तैयार किया गया है, अब इन कैंप्स में स्टेट-ऑफ-द-आर्ट फैसिलिटीज जैसे बिजली, पानी, हिटिंग की सुविधा, स्वास्थ्य और साफ-सफाई की भी पूरी व्यवस्था है।' अधिकारियों की मानें तो इन कैंप्स में फ्रंटलाइन ट्रूप्स को रखने के सारे संसाधन मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि जवानों को किसी भी चीज की कमी नहीं होगी और वो किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहें।
#WATCH Eastern Ladakh: In order to ensure operational efficiency of troops deployed in winters, Indian Army has completed establishment of habitat facilities for all troops deployed in the sector. pic.twitter.com/H6Sm5VG541
— ANI (@ANI) November 18, 2020
मई माह से जारी है टेंशन
लद्दाख से बुधवार को जो नई तस्वीरें सामने आई हैं उनमें साफ नजर आ रहा है कि सेना ने जवानों के लिए किस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर रेडी कर लिया है। एलएसी पर हालात जस के तस बने हुए हैं और दोनों तरफ की सेनाओं ने लंबे टकराव के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। एक और अधिकारी ने बताया, 'जो जवान फ्रंट लाइन पर हैं उन्हें हीटेड टेंट्स में भेजा गया है। इसके अलावा जरूरी असैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की भी पूरी तैयारी कर ली गई है ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति से निबटा जा सके।' भारत और पीएलए के बीच अब तक आठ दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन पिछले छह माह से जारी इस सैन्य तनाव को कोई नतीजा नहीं निकल सका है। नौंवे दौरे की वार्ता पर भी रजामंदी बनी है लेकिन यह कब होगी, इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है।