दिल्ली में कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीज ने सरकारी अस्पताल को बताया लग्जरी होटल, नेटफिल्क्स देखकर बिताया समय
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस के कुछ मरीज पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। इनमें से ही एक हैं राजधानी दिल्ली के मयूर विहार के रहने वाले रोहित दत्ता जिन्होंने मीडिया के साथ अपने अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्ड के अनुभव साझा किए हैं। रोहित की मानें तो सफदरजंग अस्पताल में उनके इलाज के दिन बिल्कुल किसी लग्जरी होटल की तरह थे। उन्हें जिस आइसोलेशन वॉर्ड में रखा गया था, उसने सरकारी अस्पताल को लेकर उनकी सोच को भी बदलकर रख दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने कभी इस बात की कल्पना तक नहीं की थी एक सरकारी अस्पताल का हाल इतना बेहतर भी हो सकता है।
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उम्मीद नहीं थी सरकारी अस्पताल ऐसा होगा
रोहित दत्ता ने की माने तो अस्पताल का स्टाफ हर पल साफ-सफाई का ध्यान रख रहा था। दिदन में दो बार चादरें बदली जाती थी। रविवार को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है। रोहित अस्पताल के आइसोलेशन वॉर्ड में अपने परिवार को वीडियो कॉल करते और फिर नेटफिल्क्स के साथ दिन बिताते। 14 दिनों में उन्हें एक सेकेंड के लिए भी नहीं लगा कि वह अपने परिवारन से दूर हैं। दत्ता अब अगले 14 दिनों तक अपने घर पर क्वारंटाइन में रहेंगे। दत्ता एक ऐसी कंपनी चलाते हैं जो जूतों पर प्रयोग होने वाली टेक्निकल टेक्सटाइल बनाने का काम करती है।
इटली से लौटे थे दत्ता
दत्ता काम के सिलसिले में फरवरी माह के मध्य में एक लेदर एग्जीबिशन में हिस्सा लेने के लिए इटली गए थे। उन्हें भी अंदाजा नहीं है कि उन्हें कैसे यह बीमारी लग गई। रोहित के मुताबिक जिस समय वह सफर कर रहे थे उस समय तक इटली में कोरोना वायरस के संक्रमण की कोई खबर नहीं थी। उनके साथ उनके दो साले भी गए थे और उन्हें भी इनफेक्शन लग गया। इसके बाद यह इनफेक्शन आगरा में परिवार के चार और सदस्यों को ट्रांसफर हो गया। सभी सात लोगों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इन सभी को शनिवार को डिस्चार्ज कर दिया गया।
साधारण बुखार समझकर लेते रहे पैरासिटामोल
25 फरवरी को वह यूरोप से दिल्ली पहुंचे थे और इसी तारीख की रात को उन्हें बुखार आ गया। उन्होंने मीडिया को बताया कि जिस समय वह यूरोप में थे तो पूरी तरह से स्वस्थ थे। रोहित के साथ उनके दोनों साले एक दिन में करीब 25,000 कदम चल जाते थे और एक बीमार इंसान के लिए यह आसान नहीं है। एयरपोर्ट पर भी उस समय उन्हें स्क्रीन नहीं किया गया था और उस समय उन्हें कोई लक्षण भी नजर नहीं आया था। रात में ही उन्हें बुखार हुआ था। बुखार होने पर उन्होंने पैरासिटामोल ली और वह सो गए। फिर अगली सुबह वह एक स्थानीय फीजिशियन के पास गए और चेक-अप कराया। डॉक्टर ने उन्हें तीन दिनों के लिए दवाई दे दी थी।
बेटे के बर्थडे वाले दिन फिर आया बुखार
दवाई लेने के बाद लक्षण कमजोर हो गए और फिर उन्होंने इस बारे में सोचना बंद कर दिया। 28 फरवरी को उनके बेटे का बर्थडे था और उन्होंने हयात में एक छोटी सी गेट-टुगेदर पार्टी का आयोजन किया था। उनकी पत्नी, दोनों बच्चे और मां के साथ दो दोस्तों का परिवार भी आया था। दोस्तों के बच्चे उनके बेटे के साथ क्लास में पढ़ते हैं। उसी रात को उन्हें फिर से बुखार आ गया। इसी समय इटली में कोराना वायरस के फैलने की खबरें आने लगी। रोहित डर गए थे। इस बार उनकी पत्नी और एक दोस्त ने उन्हें टेस्ट कराने के लिए कहा। वह टेस्टिंग के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल गए थे। टेस्टिंग के समय उन्होंने एक फॉर्म भरा था और उन्होंने फॉर्म में उस बॉक्स को टिक किया जो बुखार से संबंधित जानकारी पर था। बुखार की वजह से डॉक्टरों ने भर्ती किया।
रोहित ने की अथॉरिटीज की तारीफ
अगली शाम तक उनके टेस्ट पॉजिटिव आए और फिर उन्हें अगले 30 मिनट के अंदर सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया। रोहित कहते हैं कि अथॉरिटीज इस समय काफी मेहनत से काम कर रही हैं। पॉजिटिव आने के सिर्फ 30 मिनट के अंदर उनके पूरे परिवार का टेस्ट हुआ। सिर्फ इतना ही नहीं उनके दोस्त के घर पर मौजूद लोगों को भी टेस्ट किया गया। अगले दिन स्कूल में भी सभी का टेस्ट किया गया। ददत्ता के मुताबिक उनके अनुभव से बाकी लोगों को हिम्मत मिलेगी और लक्षण नजर आने पर वे सभी टेस्टिंग के लिए आगे आएंगे। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो फिर उनकी और उनके परिवार की जिंदगी खतरे में आ जाएगी।