
न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर उपराष्ट्रपति का सुप्रीम कोर्ट पर बयान, चीफ जस्टिस के सामने जानिए क्या कहा?

Vice President Jagdeep Dhankhar on NJAC Act: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली में शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की मौजूदगी में 8वें लक्ष्मीमल्ल सिंघवी स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम को रद्द करने के बाद संसद में 'कोई चर्चा'नहीं हुई और यह एक 'बहुत गंभीर मुद्दा' है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद द्वारा पारित एक कानून, जो लोगों की इच्छा को दर्शाता है, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 'रद्द' किया गया और और दुनिया को ऐसे किसी भी कदम के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
स्मृति व्याख्यान में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि जब कानून का कोई बड़ा सवाल होतो इस मुद्दे को अदालतों द्वारा देखा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना में लिखा है- हम लोग, यानी सत्ता लोगों में, उनके जनादेश में, उनके ज्ञान में बसती है। भारतीय संसद लोगों के मन और इच्छा को दर्शाती है। जब भारत से सीधे सरोकार रखने वाले मुद्दों की बात आती है, तो हमें इस अवसर पर उठना चाहिए और केवल एक बात को ध्यान में रखना चाहिए 'भारत का हित'।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एनजेएसी अधिनियम के बारे में कहा कि 2015-16 में, संसद एक संवैधानिक संशोधन अधिनियम पारित किया और रिकॉर्ड की बात के रूप में पूरी लोकसभा ने सर्वसम्मति से मतदान किया। राज्यसभा में यह एकमत था, एक अनुपस्थिति थी। उन्होंने कहा,'हम लोग-उनकी इच्छा को संवैधानिक प्रावधान में बदल दिया गया। जनता की शक्ति, जो एक वैध मंच के माध्यम से व्यक्त की गई थी, उसे खत्म कर दिया गया. दुनिया ऐसे किसी कदम के बारे में नहीं जानती।
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आपतो बता दें कि NJAC अधिनियम, जिसने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को उलटने की मांग की थी, उसे सर्वोच्च न्यायालय ने असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द कर दिया था।