राम मंदिर को लेकर 9 दिसंबर से मोदी सरकार की मुश्किल बढ़ाएगी VHP
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे करीब आ रहा है राम मंदिर का मुद्दा रफ्तार पकड़ता जा रहा है। जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को अगले वर्ष जनवरी माह तक के लिए टाल दिया है उसके बाद तमाम हिंदू संगठन केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लेकर आए। ऐसे में 9 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली विश्व हिंदू परिषद की रैली में वीएचपी के नेता केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट पर जमकर हमला बोलने की तैयारी कर रहे हैं।
सरकार पर दबाव
वीएचपी ने साफ कर दिया है कि अगर यह मुद्दा शीतकालीन सत्र में नहीं सुलझता है तो यह मुद्दा 31 जनवरी 2019 और 1 फरवरी 2019 को प्रयागराज में होने वाली धर्म संसद में जाएगा। लेकिन इन सब के बीच वीएचपी राम मंदिर के मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती है और वह लगातार अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाए रखना चाहती है। राम जन्मभूमि का मामला 135 साल पुराना है और संत चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर जल्द से जल्द सुनवाई करके फैसला दे। अखिल भारतीय संत समिति का कहना है कि हम जजों की राजनीति में नहीं जाना चाहते हैं और ना ही कोर्ट की अवमानना करना चाहते हैं।
मेगा रैली
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 3-4 नवंबर को तमाम संतों की महासभा में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर जोरशोर से उठाया गया। वीएचपी के तमाम कार्यक्रम 25 नवंबर से शुरू हो गए हैं। लेकिन 9 दिसंबर से वीएचपी केंद्र सरकार पर नए सिरे से दबाव बनाने की तैयारी कर रही है। वीएचपी का कहना है कि इस रैली में पांच लाख लोग इकट्ठा हो रहे हैं और इसकी तैयारी जोर शोर से चल रही है। वीएचपी का कहना है कि हमारी मुख्य ध्यान शीतकालीन सत्र पर है।
सरकार समाधान के बारे में सोच रही
स्वामी राम भद्राचार्य ने दावा किया है कि उन्हें एक वरिष्ठ मंत्री ने इस बात की सूचना दी है कि 11 दिसंबर के बाद सरकार इस मुद्दे के हल के बारे में सोचेगी। वहीं वीएचपी ने राम मंदिर के लिए अपने अभियान को तेज कर दिया है और छोड़ी-बड़ी कुल मिलाकर 150 रैलियों की योजना बनाई है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राम मंदिर निर्माण के लिए किसी भी तरह का अध्यादेश लाने से इनकार किया है। लेकिन इस मुद्दे पर असल घमासान 9 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है जोकि 2 फरवरी तक चलेगा।
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