Sagar Sarhadi Death: 'कभी-कभी' लिखने वाले दिग्गज राइटर-डायरेक्टर सागर सरहदी का निधन
सागर सरहदी का निधन: हिंदी फिल्म जगत के दिग्गज फिल्म मेकर सागर सरहदी का निधन हो गया है। रविवार (21 मार्च) को 88 साल की उम्र में सागर सरहदी का निधन मुंबई में हुआ। वो काफी वक्त से बीमार चल रहे थे। सागर सरहदी को बाजार और लोरी जैसी फिल्मों में काम करने के लिए जाना जाता है, जिन्हें उन्होंने डायरेक्ट किया था। कभी कभी, चांदनी और फासले, सिलसिला जैसी फिल्मों में उन्होंने पटकथा/ डॉयलग लिखे थे। एएनआई ने उनकी मौत की खबर की पुष्टि करते हुए ट्वीट किया है, दिग्गज लेखक-निर्देशक सागर सरहदी का मुंबई में निधन हो गया है। निर्देशक हंसल मेहता ने ट्विटर सागर सरहदी के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है, RIP,सागर सरहदी साहब।

किन बीमारियों से जूझ रहे थे सागर सरहदी
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 88 वर्षीय सागर सरहदी ने अपने आखिरी दिनों में खान-पीना तक छोड़ दिया था। वो ज्यादातर लिक्विड डाइट लेते थे। सागर सरहदी को हार्ट में हो रही दिक्कतों की वजह से हाल ही में सायन में कार्डियक केयर अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। सागर सरहदी का अंतिम संस्कार मुंबई में किया जाएगा। 2019 में भी सागर सरहदी को मुंबई के अस्पताल की कार्डियक केयर आईसीयू में भर्ती कराया गया था। एसआर मेहता कार्डियक अस्पताल प्रशासक ने कहा था, "हृदय की समस्या से पीड़ित होने के बाद सागर सरहदी को लाया गया था। वह स्थिर है और सुधार कर रहे हैं और हम जल्द ही उसे डिस्चार्ज करने की उम्मीद करते हैं।"
जानिए सागर सरहदी के बारे में?
सागर सरहदी का पूरा नाम गंगा सागर तलवार था। सागर सरहदी सरहदी का जन्म अविभाजित भारत के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत एबटाबाद में हुआ था। कुछ समय बाद वह अपना गांव छोड़कर दिल्ली के किंग्सवे कैंप में बस गए थे। सिनेमा में जाने से पहले, सरहदी एक उर्दू लेखक थे। उन्होंने कई लघु कथाएं और नाटक लिखे थे। कहा जाता है कि विभाजन ने उन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया था। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद सागर सरहदी मुंबई चले गए थे। जहां उनके भाई ने एक कपड़े की दुकान खोली थी।
कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद सागर को 1970 में आई Patni फिल्म से पहला ब्रेक मिला। उन्होंने कपिल कुमार के साथ टीम बनाई और 1971 में आई अनुभव में बासु भट्टाचार्य के साथ काम किया। इसके बाद उन्हें एक के बाद एक काम मिलता गया। लंबे संघर्ष के बाद सरहदी ने हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
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