उत्तराखंड चुनाव: बीजेपी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों के खिलाफ एक जैसी 'मुसीबत'
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख किशोर उपाध्याय हों या फिर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट हों, दोनों ही नेताओं के मुकाबले में पार्टी के बागी नेता ही मैदान में उतरे हैं।
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला है। दोनों ही दल उत्तराखंड की जनता का विश्वास जीतने की कवायद में जुटे हुए हैं। हालांकि दोनों ही पार्टियों के लिए अपने ही दल के बागी मुसीबत बनते दिखाई दे रहे हैं।
बीजेपी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों के खिलाफ मैदान में बागी
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के प्रदेश अध्यक्षों के खिलाफ बागियों ने दावा ठोंक रखा है। चाहे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख किशोर उपाध्याय हों या फिर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट हों, दोनों ही नेताओं के मुकाबले में पार्टी के बागी नेता ही मुकाबले में उतरे हैं।
किशोर उपाध्याय के मुकाबले आर्येंद्र शर्मा, अजय भट्ट के खिलाफ प्रमोद नैनवाल
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख किशोर उपाध्याय देहरादून के सहसपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं, उनके खिलाफ पार्टी के बागी आर्येंद्र शर्मा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा है। दूसरी ओर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट रानीखेत से चुनाव मैदान में हैं, उनके मुकाबले में कांग्रेस पार्टी से अजय महारा उतरे ही हैं। साथ ही इस बार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की परेशानी बीजेपी के बागी डॉ. प्रमोद नैनवाल भी बढ़ाते नजर आ रहे हैं। नैनवाल की रैलियों में सैकड़ों बीजेपी समर्थक नजर आ रहे हैं।
सहसपुर से चुनाव मैदान में उतरे हैं किशोर उपाध्याय
सहसपुर में किशोर उपाध्याय के खिलाफ चुनाव मैदान में आर्येंद्र शर्मा को समझाने की कोशिशें कांग्रेस पार्टी की ओर से लगातार की जा रही हैं जिससे की वो अपना नाम वापस ले लें। 2012 के चुनाव आर्येंद्र शर्मा चुनाव हार गए थे। आर्येंद्र शर्मा के मुताबिक वो इस विधानसभा में पिछले 8 साल से काम कर रहे हैं। मेरा नाम सभी पार्टी सर्वे में शामिल था, लेकिन आखिरी वक्त में मेरा टिकट काट दिया गया। ये मेरे साथ अन्याय है। किशोर उपाध्याय को अचानक ही सहसपुर से टिकट दिया जाना ही पार्टी में फूट की वजह बना। किशोर उपाध्याय टिहरी सीट चाहते थे, वहां से उन्होंने 2002 और 2007 में जीत हासिल किया था हालांकि 2012 में निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश धनाई से मुकाबले में 377 वोटों से हार गए थे। इस बार पार्टी ने नरेंद्र रमोला को टिहरी सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।
अजय भट्ट रानीखेत से बीजेपी के उम्मीदवार हैं
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की बात करें तो वो रानीखेत से चुनाव मैदान में हैं और उनके चुनावी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति की वजह से वो दिनभर में कुछ गांवों का ही दौरा कर पाते हैं। उनके मुकाबले में अजय महारा हैं, आंकड़ें देखें तो इस सीट पर दोनों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलती है एक बार अजय भट्ट को जीत मिलती है तो अगली बार अजय महारा के पास ये सीट जाती है। 2007 में भट्ट 298 सीटों से महारा से हार गए थे, 2012 में 78 सीटों से उन्होंने जीत हासिल की थी। हालांकि इस बार बीजेपी के बागी प्रमोद नैनवाल के सामने होने की वजह से उनकी मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं।
अजय भट्ट का दावा, साफ-सुथरी छवि का मिलेगा फायदा
अजय भट्ट 600 रुपये के किराए वाले एक छोटे से घर में रहते हैं। उन्होंने कहा कि मेरी साफ-सुथरी छवि मुझे जीत दिलाने में अहम रोल अदा करेगी। फिलहाल दोनों ही बीजेपी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चुनाव प्रचार जुटे हुए हैं और अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं लेकिन कहीं न कहीं पार्टी के बागी उनकी मुसीबत बढ़ा सकते हैं। फिलहाल फैसला वोटरों को करना है।