बजट में आवंटन बढ़ाकर SC-ST समुदाय को लुभाना चाहती है सरकार
नीति आयोग के फॉर्म्युले के मुताबिक एससी-एसटी से जुड़े अधिकतर मामलों में ऐलोकेशन काफी बढ़ाया गया है
नई दिल्ली। केंद्र सरकार आगामी आम बजट में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आवंटन में बढ़ोतरी का प्लान कर रही है। सरकार की कोशिश है कि एससी-एसटी समुदाय का ज्यादा से ज्यादा विकास हो सके साथ ही आवंटन बढ़ाकर सरकार आगामी 2019 चुनाव में भी फायदा लेना चाहती है। नीति आयोग ने इसको लेकर एक प्लान बनाया है। जिसको अमल में लाने पर अनुसूचित जातियों और जनजातियों के कल्याण पर खर्च बढ़ने की उम्मीद है। आपको बता दें कि देश की आबादी में 25 पर्सेंट से ज्यादा हिस्सा एससी और एसटी समुदाय के लोगों का है।
एससी-एसटी से जुड़े अधिकतर मामलों में ऐलोकेशन काफी बढ़ाया गया है
नीति आयोग के फॉर्म्युले के मुताबिक एससी-एसटी से जुड़े अधिकतर मामलों में ऐलोकेशन काफी बढ़ाया गया है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण के मामले में एससी और एसटी के लिए शून्य और 1.4 पर्सेंट के ऐलोकेशन के मुकाबले नए फॉर्म्युले में इन्हें 8.30 पर्सेंट और 4.30 पर्सेंट किया गया है। टेक्सटाइल्स मिनिस्ट्री के मामले में एससी और एसटी के लिए क्रमश: 5 पर्सेंट और 1.20 पर्सेंट ऐलोकेशन को बढ़ाकर 16.60 पर्सेंट और 8.60 पर्सेंट किया जाएगा। इसी तरह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के मामले में आवंटन को क्रमश: 15.20 पर्सेंट और 8.20 पर्सेंट से बढ़ाकर 16.60 पर्सेंट और 8.60 पर्सेंट किया जाएगा। उच्च शिक्षा के मामले में आवंटन को क्रमश: 15 पर्सेंट और 7.50 पर्सेंट से बढ़ाकर 16.60 पर्सेंट और 8.60 पर्सेंट किया जाएगा।
नीति आयोग ने दिया है प्लान
मौजूदा वितरण नरेंद्र जाधव कमिटी की सिफारिशों पर आधारित है, जिनका इस्तेमाल तब किया गया था जब योजनागत और गैर-योजनागत खर्च का अंतर बरकरार था। सरकार ने इस अंतर को खत्म कर दिया था और बाद में नीति आयोग को सिस्टम की समीक्षा कर एससी और एसटी समुदायों के लिए फंड तय करने का काम दिया गया था। आयोग ने 2001 की जनगणना को अपनी समीक्षा का आधार बनाया है।
मौजूदा वित्त वर्ष में कुल आवंटन 52,400 करोड़ रुपये तय किया गया है
मौजूदा वित्त वर्ष में अनुसूचित जातियों के लिए कुल आवंटन 52,400 करोड़ रुपये तय किया गया है, जो वित्त वर्ष 2016 के 30,600 करोड़ रुपये से काफी ज्यादा है। इसी अवधि में अनुसूचित जनजातियों के लिए आवंटन 21,200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 32,000 करोड़ रुपये किया गया है।
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