यूपी का वो ऑफिसर जिसे घोटाले का पर्दाफाश करने पर 7 बार मारी गई गोली, UPSC परीक्षा में हुआ सफल
नई दिल्ली, 1 जून। चेहरे पर सात गोलियां लगी। गोली एक ओर से दूसरी ओर पार हो गई। आंख की रोशनी चली गई। लेकिन उनकी हिम्मत नहीं डिगी। भ्रष्टाचार से लड़ने का ऐसा साहस बिरले अधिकारियों मे ही देखने को मिलता है। इसे वो अधिकारी भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध संघर्ष का परिणाम मानता है। यूपीएसी परीक्षा पास करने के एक बार फिर से देश में व्यवस्था सुधारने की हिम्मत दिखाई है। हम यूपी के एक ऐसे ही अधिकारी के विषय में बताने जा रहे हैं जो आज प्रशासनिक सेवारत अधिकारियों के लिए मिशाल बन गया है।
रिंकू राही ने कहा कि मेरे लिए जनहित महत्वपूर्ण है। यदि कभी स्वार्थ और जनहित के बीच टकराव होता है, तो मैं जनहित को चुनूंगा। रिंकू राही प्रांतीय सिविल सेवा अधिकारी हैं। उन्होंने 83 करोड़ के मुजफ्फरनगर छात्रवृत्ति घोटाले का पर्दाफाश करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। रिंकू राही उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने साल 2008 में मुजफ्फरनगर में छात्रवृत्ति में हुए 83 करोड़ के घोटाले का भंडाफोड़ किया था। मामले में आठ लोगों को आरोपित किया गया था। जिसमें से चार को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।
वर्तमान में वे राज्य समाज कल्याण विभाग में अधिकारी हैं। इस बड़े घोटाले का पर्दाफाश होन के बाद रिंकू राही पर हमला किया गया। उन्हें सात बार गोली मारी गई। बदमाशों ने चेहरे पर भी गोली मारी। गोली लगने से उनका चेहरा विकृत हो गया। उनकी सुनने और देखने की क्षमता भी चली गई थी। राही ने कहा कि हमले में चेहरे पर गोली लगने से मेरी एक आंख की रोशनी चली गई। बताया जाता है कि रिंकू ने पुलिस अधिकारियों को भी खुद पर संभावित हमले के बारे में बताया था लेकिन वो भी उन्हें नहीं बचा सके और 26 मार्च 2009 को उन पर जानलेवा हमला हो गया। जो ईमानदारी चार करोड़ में नहीं बिकी वो अब उनकी जान पर बन आई थी।
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अब रिंकू राही की चयन यूपीएसी में हो गया है। इससे पहले 2004 में उन्होंने प्रांतीय सिविल सेवा परीक्षा पास की थी। रिंकू कहते हैं कि उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए समय निकालना मुश्किल होता है कि लेकिन वे संकल्प को लेकर दृढ़ थे। उन्होंने कहा कि मेरे लिए जनहित महत्वपूर्ण है। यदि कभी स्वार्थ और जनहित के बीच टकराव होता है, तो मैं जनहित को ही चुनूंगा।