लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी के आरक्षण को विभाजित करने की चाल चल सकती है यूपी सरकार
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के ध्रुवीकरण के जवाब में आरक्षण कोटे को विभाजित करने का खेल खेल सकती है। योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर आरक्षण कोटे में विभाजन की मांग को लेकर राज्य की भाजपा सरकार पर कई बार निशाना साध चुके हैं। मंत्री ने भाजपा को एक अल्टीमेटम दिया है और राज्य में भाजपा सरकार को 100 दिनों की समय सीमा दी।
वह यूपी सरकार और भाजपा के साथ अपने संबंधों को बदल देंगे। दूसरी ओर यदि आरक्षण में विभाजन होता है, तो इससे यादव और कुर्मी समुदाय नाराज हो जाएंगे क्योंकि केवल उन्हें सरकारी नौकरियों में लाभ मिलता है। सूत्रों ने कहा कि भाजपा की चिंता ज्यादातर कुर्मी समुदाय को लेकर है। यही कारण है कि आरक्षण फार्मूले के अमल में देरी हो रही है जबकि रिपोर्ट यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास है।
यह संकेत दिया जाता है कि अपना दल (सोनेलाल) जैसी पार्टियों के साथ समन्वय स्थापित करने के बाद इस पर कोई कदम उठाया जा सकता है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि ओबीसी उप कोटो को लेकर आई रिपोर्ट को अगले महीने विधानसभा के तल पर रखा जाएगा। बता दें कि इस रिपोर्ट 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को तीन भागों में विभाजित करने की सिफारिश की गई है। पिछड़े, अधिक पिछड़े और सबसे पिछड़े। सिफारिश के अनुसार, पिछड़ों को सात प्रतिशत, अधिक पिछड़ों को 11 प्रतिशत जबकि सबसे पिछड़ों को 9 प्रतिशत देने की बात कही गई है।
यह याद रखना चाहिए कि रिपोर्ट ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को तीन भागों में विभाजित करने की सिफारिश की है - पिछड़े, अधिक पिछड़े और सबसे पिछड़े। सिफारिश के अनुसार, पिछड़ों को सात प्रतिशत, अधिक पिछड़ों को 11 प्रतिशत जबकि सबसे पिछड़ों को 9 प्रतिशत मिलेगा। अगर बीजेपी इस फॉर्मूले को लागू करती है, तो पार्टी गैर-यादव ओबीसी का समर्थन हासिल कर सकती है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि बसपा-सपा गठबंधन को यादव और जाटव का समर्थन मिलेगा, जबकि कांग्रेस गठबंधन मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाएगी। इसके साथ-साथ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओबीसी उप कोटा लागू कर बीजेपी सपा-बसपा गठबंधन को जवाब दे सकती है।
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