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उन्नाव की हवा, पानी और मिट्टी में घुल चुकी है मौत

By हिमांशु तिवारी आत्मीय
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उन्नाव के सदर क्षेत्र में औद्योगिक जल प्रदूषण के चलते स्थानीय लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। किसी के लिवर में प्रॉब्लम है तो किसी को त्वचा संबंधी समस्या। सिर्फ इतना ही नहीं कैंसर जैसे गंभीर रोगों के शिकार होकर मौतों का आकड़ा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। हवा में मौत घुल चुकी है। जी हां हम बात कर रहे हैं आर्सेनिक की, जो उन्नाव के पानी से लेकर हवा तक सब में है।

खतरे के निशान से ऊपर आर्सेनिक

दरअसल कारखानों से निकलने वाला धुआं हो या गंदा पानी। दोनों ही वातावरण को गंभीर तौर पर प्रदूषित करता है। जानकारी के मुताबिक लोगों में आर्सेनिक की वजह से बीमारियां बढ़ रही हैं। रही बात उन्नाव की तो यहां आर्सेनिक की मात्रा खतरे के निशान को पार कर चुकी है।

यहां तक कि इस क्षेत्र के आस-पास निकलने वाले राहगीरों को दुर्गंध के चलते काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन प्रशासन हो या स्थानीय नेता दोनों ही चुप्पी साधे हुए हैं। कीमत के आगे कीमती जिंदगियां घुट-घुटकर दम तोड़ रही हैं। विकलांगता और सांस से जुड़ी तमाम बीमारियां लोगों को काल के गाल की ओर धकेलती जा रही है।

अब तक क्या हुई है कार्यवाही

साल 2012 में सदर तहसील क्षेत्र के जल और वायु प्रदूषण से परेशान ग्रामीणों ने तत्कालीन कांग्रेसी सांसद अनु टंडन को अपनी इस समस्या से अवगत कराया था। लेकिन महज आश्वासन के बाद उनकी उम्मीदों को ठंडे बस्ते में फेंक दिया गया। जहरीले पानी पर कई चैनलों की ओर से कई रिपोर्टस चमकाई गईं, लेकिन कैमरे की फ्लैश लाइट जब तक जलती रही तब तक लोग इसे गंभीरता से लेते रहे। लाइट बुझते ही यहां की मासूम जिदगियां फिर अंधेरे में चली गईं। मुद्दा भी बिक गया, समस्या भी कीमती बोलियों की ऊंची आवाजों के सामने गूंगी हो गई।

क्यों बेआवाज हो गए आंदोलन

तत्कालीन सांसद अन्नू टंडन की ओर से औद्योगिक जल प्रदूषण से उन्नाव को बचाव अभियान चलाया गया। पर उसका क्या असर रहा वो आज भी उन्नाव सदर के गांवों की बद्हाली बयां कर रही है। कहीं न कहीं महज दिखावा बनकर रह गया वो आंदोलन, वो वादा, वो आश्वासन। हालांकि अन्नू टंडन ने ये कहा भी था कि वे इस गंभीर समस्या से वाकिफ है और सुधारने की कोशिश कर रही हैं। पर समस्या सुधरी नहीं और भी बिगड़ गई है। एक बार फिर राजनीति पर विश्वास अंधे कुएं में डाल दिया गया।

आर्सेनिक पर सवाल, समस्या उसी के खेमे में जाते हैं जिसके पास क्षेत्रीय या फिर जिले की जिम्मेवारी होती है। पर सवाल उठते ही जांच का हवाला देते हुए आवाज को शांत कराने की कोशिश की जाती है। नेता जी के कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही मुद्दा फिर से दूसरे के पाले में चला जाता है। 2012 आया तो कई आश्वासन दिये गये। अब 2017 आने वाला है। स्थ‍िति जस की तस है। यदि लापरवाही कुछ इसी तरह रही तो वो दिन दूर नहीं जब शहर कब्र होगा।

कौन-कौन सी बीमारियों की चपेट में हैं उन्नाव के लोग, पढ़ें स्लाइडर में-

गैंगरीन, लीवर-किडनी फेलियोर

गैंगरीन, लीवर-किडनी फेलियोर

आर्सेनिक युक्त पेयजल के कारण गैंग्रीन, आंत, लीवर, किडनी और मूत्राशय के कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां हो रही हैं।

त्वचा रोग

त्वचा रोग

विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को होने वाले त्वचा रोग भी आर्सेनिक के कारण हो जाते हैं।

मधुमेह की बीमारी

मधुमेह की बीमारी

आर्सेनिक के कारण लोगों को मधुमेह की बीमारी भी हो जाती है।

अचानक गर्भपात

अचानक गर्भपात

वहीं गर्भवती महिलाओं में आर्सेनिक का असर गर्भपात जैसी अवस्था को जन्म देता है।

प्रसव में मुश्क‍िल

प्रसव में मुश्क‍िल

आर्सेनिक युक्त जल पीने के कारण महिलाओं को सामान्य प्रसव में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ जाता है।

हड्ड‍ियां कमजोर

हड्ड‍ियां कमजोर

हड्डी रोग जनित समस्याएं खड़ी हो जाती है। फलस्वरूप लोग विकलांगता की चपेट में भी आ जाते हैं।

कैंसर का खतरा

कैंसर का खतरा

डॉक्टरों के अनुसार आर्सेनिक की मात्रा शरीर में पहुंचने से ब्लड कैंसर व लंग कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।

Comments
English summary
In the form of arsenic the fragrance of death has been dissolved in the air of Unnao district of Uttar Pradesh. उन्नाव के सदर क्षेत्र में औद्योगिक जल प्र
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