गुजरात दंगे के दो सबसे चर्चित चेहरे, अशोक परमार की दुकान का उद्घाटन करने पहुंचे कुतुबुद्दीन
गुजरात दंगे की तस्वीरों के दो सबसे चर्चित चेहरे, कुछ ऐसे मिले कुतुबुद्दीन और अशोक परमार
नई दिल्ली। गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों में दो लोगों की तस्वीरें दुनियाभर की मीडिया में चर्चा में रही थीं। इनमें एक तस्वीर हाथ में तलवार लहराते अशोक परमार की और दूसरी तस्वीर जान बचाने के लिए गिड़गिड़ाते कुतुबुद्दीन अंसारी की थी। दोनों बाद में दोस्त बनें और कई मंचों पर साथ दिखे। 17 साल बाद शुक्रवार को एक एक बार फिर अहमदाबाद में दोनों साथ थे। मौका था अशोक की फुटवियर की दुकान 'एकता चप्पल घर' के उद्घाटन का।
कुतुबुद्दीन ने किया दुकान का उद्घाटन
2002 के दंगे में हाथ में तलवार लिए दिखने वाले परमार ने शुक्रवार को दिल्ली दरवाजा इलाके में अपनी जूते-चप्पलों की दुकान शुरू की है। शुक्रवार को दुकान का उद्घाटन था। इस खास काम के लिए उन्होंने बुलाया था कुतुबु्द्दीन अंसारी को। वहीं अंसारी जिनके गुजरात दंगे के दौरान हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगते हुए तस्वीर दुनिया भर में देखी गई थी।
गले मिले दोनों
अंसारी ने परमार की दुकान का उगद्घाटन किया और देर कर उनके पास बैठे रहे। गले लगाकर उनको नए काम के लिए बधाई और शुभकामनाएं भी दीं। दोनों के बीच दोस्ती 2014 में हुई थी जब पहली बार एक सांप्रदायिक सौहार्द कार्यक्रम के मंच पर दोनों साथ आए और मुलाकात हुई।
2002 की तस्वीर रही थी चर्चा में
अशोक परमार पेशे से मोची हैं। बहुत कम उम्र में यतीम हुए परमार काफी समय तक मोची का काम करते रहे। उनका जीवन 2014 में बदला तब बदल गया जब केरल के एक वामपंथी नेता उन्हें सीपीएम के प्रचार के लिए ले गए। उनकी माली तौर पर मदद भी की। हालांकि परमार का मन केरल में नहीं लगा और वो लौट आए।
वहीं कुतुबु्द्दीन अंसारी दंगों के बाद कोलकाता रहने चले गए थे लेकिन वहां समय बाद परिवार के साथ उन्होंने अहमदाबाद लौटने का फैसला किया। विकल्प चुना। अंसारी सिलाई का काम करते हैं। अब दोनों एक दूसरे से मिलते जुलते रहते हैं।
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