अग्निपरीक्षा: अब राज्यसभा में पेश होगा बिल, दिखाना होगा भाजपा को 'बहुमत'
दूसरी ओर, अगर आज राज्यसभा से बिल पास हो जाता है, तो यह उस अध्यादेश का स्थान ले लेगा, जिसके तहत टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी एक्ट (ट्राई) में संशोधन किया गया है। अध्यादेश को छह महीने में दोनों सदनों से पारित कराना होता है अन्यथा इसका प्रभाव खत्म हो जाएगा। सरकार इसलिए भी बिल को मौजूदा बजट सत्र में पास करा लेना चाहती है।
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एम.वैंकेया नायडू की दो टूक है कि 'लोकसभा में बिल पास होने के बाद हमें विश्वास है कि हम पर्याप्त संख्याबल से संशोधन बिल को उच्च सदन से भी पास करा लेंगे।' राज्यसभा में एनडीए की कमजोर स्थिति पर उनका कहना है कि 'विभिन्न दलों ने बिल पर सरकार के समर्थन का भरोसा दिलाया है और इससे हमें भरोसा है कि बिल पास कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी।'
सरकार ने कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों एनसीपी, बीएसपी और सपा को साधने में सफलता पाई थी। तीनों दलों के अलावा तृणमूल ने भी सरकार के इस बिल का समर्थन किया था। जबकि विरोध में कांग्रेस, आप और माकपा ने वॉकआउट कर दिया था
अगर राज्यसभा के गणित पर बात करें तो मौजूदा 243 सदस्यों में यूपीए के 79 सदस्य है, जबकि सत्तारूढ़ एनडीए के 60। जेडीयू और लेफ्ट के 23 सांसद हैं, जो मौजूदा वक्त में सरकार के खिलाफ वोट कर सकते हैं।
साथ ही बीपीएफ का एक राज्यसभा सांसद भी सरकार के साथ है। ऐसे में एनडीए की ताकत 103 हो जाती है और विपक्ष की संख्या घटकर 95 हो जाती है। तो अग्निपरीक्षा में सरकार को भरोसे व सहमति जुटाने की जरूरत है जिसके बाद ही वह अपने 'चहेते' मिश्र को अपने पाले में कर सकती है।