'भारत-पाक सीमा पर भैंसा गाड़ी और साइकिल के पुर्ज़ों से भी ड्रग्स तस्करी'
बीएसएफ़ की इस रिपोर्ट को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की जुलाई में गृह मंत्रालय को लिखी उस चिट्ठी का जवाब माना जा रहा है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि पंजाब सरकार द्वारा तमाम तरह की सूचनाएं दिये जाने के बावजूद सीमा सुरक्षा बल तस्करी नहीं रोक पा रहा है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी चिट्ठी में ये भी लिखा था कि बीएसएफ़ ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए कुछ प्रभावी तरीक़े अपनाये.
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) का कहना है कि पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा के बीच होने वाली तस्करी की जाँच में वो किसान सबसे बड़ी चुनौती बन गए हैं जो हर दूसरे दिन तस्करी की नई तरकीबें ईजाद कर रहे हैं.
बीएसएफ़ ने इस पर तीन पन्नों की एक रिपोर्ट तैयार की है. 'ड्रग स्मगलिंग इन पंजाब' नाम की इस रिपोर्ट की एक कॉपी बीबीसी को प्राप्त हुई है.
बीएसएफ़ के महानिदेशक ने कहा है, "पंजाब में 43 जगहें ऐसी हैं जहाँ बाड़ नहीं है. इनमें से ज़्यादातर जगहों से नदी गुज़रती है या पानी का जमाव है. यानी 10.25 किलोमीटर का इलाक़ा ऐसा है जहाँ कोई रोक नहीं है और जंगली झाड़ियाँ भी हैं."
उन्होंने रिपोर्ट में लिखा है, "किसान ज़ीरो लाइन के बिल्कुल क़रीब तक अपनी फसल बोते हैं. नियमित चेकिंग के बावजूद कुछ किसान बॉर्डर पार स्मगलिंग के नए तरीक़े निकालते रहते हैं."
कुछ किसानों ने तस्करी के ऐसे तरीक़े निकाल लिए हैं, जिनके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता.
बीएसएफ़ के एक आला अफ़सर ने बीबीसी पंजाबी सेवा को बताया, "साइकिल और भैंसा गाड़ी के कलपुर्ज़ों में भी हमें ड्रग्स मिले हैं. इन लोगों को कोई भी नई चीज़ मिलती है, तो वो उसमें ड्रग्स छिपा लेते हैं. सबसे बुरा तो ये है कि उनके पास ड्रग्स छिपाने का हर बार कोई न कोई नया तरीक़ा होता है."
बीएसएफ़ ने भारत सरकार से बिजली की माँग की है ताकि वो इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भी निगरानी कर सके. इसके अलावा बीएसएफ़ ने टेलीफ़ोन और मोबाइल फ़ोन की निगरानी शामिल करने की बात भी की है.
रिपोर्ट में कहा गया है:
- बीएसएफ़ के पास इलेक्ट्रॉनिक निगरानी करने के लिए बिजली की सुविधा नहीं है, जिस वजह से बीएसएफ़ की क्षमता सीमित रह गई है.
- इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की क्षमता आने से तस्करी की जाँच में काफ़ी मदद मिलेगी.
- पंजाब पुलिस जिन ड्रग तस्करों को बॉर्डर से गिरफ़्तार करती है, उनसे जो सूचना मिलती है वो लगातार बीएसएफ़ को नहीं दी जाती.
- अगर पंजाब पुलिस तस्करों की सूचनाएं बीएसएफ़ को दे तो तस्करों के नेटवर्क के ख़िलाफ़ बेहतर नीति बनाई जा सकेगी.
- तस्करों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन बीएसएफ़ और पंजाब सरकार की मिलीजुली ज़िम्मेदारी है.
कुछ प्रभावी तरीक़े
बीएसएफ़ की इस रिपोर्ट को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की जुलाई में गृह मंत्रालय को लिखी उस चिट्ठी का जवाब माना जा रहा है जिसमें उन्होंने दावा किया था कि पंजाब सरकार द्वारा तमाम तरह की सूचनाएं दिये जाने के बावजूद सीमा सुरक्षा बल तस्करी नहीं रोक पा रहा है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी चिट्ठी में ये भी लिखा था कि बीएसएफ़ ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए कुछ प्रभावी तरीक़े अपनाये.
इस चिट्ठी के बाद केंद्र सरकार ने बीएसएफ़ से इस मामले में जवाब मांगा था.
बीएसएफ़ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि वो केवल ड्रग्स को सीमा पार लाने ले जाने वालों को ही पकड़ पाते हैं. लेकिन, तस्करी करवाने वाले मुख्य लोगों तक उनकी पहुंच नहीं है.
बढ़ते ऑपरेशन
रिपोर्ट से पता चलता है कि तस्करों को पकड़ने के लिए पंजाब पुलिस और बीएसएफ़ के संयुक्त अभियान पिछले कुछ वर्षों में बढ़े हैं.
साल 2016 में तीन बड़े अभियान चलाए गए थे जिनकी संख्या साल 2017 में बढ़कर 16 हो गई थी.
साल 2018 में जुलाई के अंत तक पंजाब पुलिस और बीएसएफ़ 17 संयुक्त अभियान कर चुकी है जिनमें 91 किलो हेरोइन बरामद किया गया.
पिछले तीन साल में
2016 - 16 लोग मारे गए, 121 लोग गिरफ़्तार हुए और 176 किलो हेरोइन बरामद हुई.
2017 - 5 मारे गए, 102 गिरफ़्तार और 182 किलो हेरोइन बरामद.
2018 (जुलाई तक) - 5 लोग मारे गए, 71 घायल और 91 किलो हेरोइन बरामद हुई.
ये भी पढ़ें:
- ड्रग्स सप्लाई के लिए अमरीका से मेक्सिको तक सुरंग
- शराब, सेक्स और जेल में मेरी आख़िरी रात!
- चॉकलेट ड्रग्स: नशे के सौदागरों की नई पेशकश