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इसे पढ़ने के बाद पुलिसवालों को दीजिये जादू की झप्पी

By Ajay Mohan
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[अजय मोहन] मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म आपको जरूर याद होगी। फिल्म का वो शॉट भी जब मुन्न अस्पताल के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को जादू की झप्पी देता है। सच पूछिए तो हमारे देश के ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को भी ऐसी ही जादू की झप्पी की जरूरत है। जी हां कोलकाता यूनिवर्सिटी के इस रिसर्च को पढ़ने के बाद आप भी यही कहेंगे।

यह रिसर्च सिबनाथ देब, तनुश्री चक्रवर्ती, पूजा चटर्जी और नीरजाक्शी श्रीवास्तव ने किया है। इस रिसर्च के लिये 11 अलग-अलग यूनिट्स से 68 ट्रैफिक कॉन्सटेबलों को चुना गया। उन पर पड़ने वाले दबाव का अध्ययन किया गया, जिसके परिणाम इस प्रकार निकले, जो वाकई चौंकाने वाले हैं।

  • 76.5% पुलिस कान्सटेबल मानसिक तनाव में जी रहे हैं।
  • 2.9% बहुत ज्यादा मानसिक तनाव में जी रहे हैं।

मानसिक तनाव के कारण- अपर्याप्त आराम, परिवार से संपर्क नहीं हो पाना, लंबे समय तक ड्यूटी करना, अपर्याप्त छुट्टी, राजनीतिक दबाव, विभाग के अंदर राजनीति, गर्म मौसम, बात-बात पर जनता की खरी-खोटी बातें, बहुत ज्यादा दर्दनाक सड़क दुर्घटनाओं को देखना, अध‍िकारियों का सहयोग नहीं मिलना, रहने की खराब सुविधाएं, आदि।

तनाव के कारण कैसे बन जाते हैं पुलिसकर्मी- शराब पीने लगते हैं, परिवार से जब मिलते हैं, तब झगड़ा करते हैं, अपने भविष्य के प्रति नकारात्मक सोच को बिठा लेते हैं, गालियों से बात करते हैं, सामने वाले के प्रति संवेदनहीन हो जाते हैं।

लोग कहते हैं कि पुलिसकर्मी बहुत खराब व्यवहार करते हैं, जबकि सच तो यह है कि जिन परिस्थ‍ितियों में वे जीते हैं, उनके नकारात्मक प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ते हैं। पुलिसकर्मियों पर हृदय रोग, मधुमेह, आंश‍िक बहरेपन, दमा, उच्च रक्तचाप, गैस संबंधी समस्याओं का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

नींद नहीं आना कॉमन

पुलिस कर्मियों को नींद नहीं आना सबसे कॉमन बीमारी है। इसका कारण लंबे समय तक काम करना, अनियमित भोजन, रहने की खराब व्यवस्था, सीनियर्स का दुर्व्यवहार, घर से दूर रहना, आदि। नियमों के तहत कॉन्सटेबलों की ड्यूटी अपने गृह जनपद से बाहर ही लगायी जाती है। सच पूछिए तो तनाव उसी दिन शुरू हो जाता है, जिस दिन वे पुलिस की नौकरी ज्वाइन करते हैं।

पुलिस कॉन्स्टेबलों के जीवन से जुड़ी चौंकाने वाली बातें-

जब होता है वीआईपी मूवमेंट

जब होता है वीआईपी मूवमेंट

जब वीआईपी मूवमेंट होता है, तब पुलिस कॉन्स्टेबल की ड्यूटी 3 घंटा अपने आप बढ़ जाती है।

40 किलोमीटर का सफर

40 किलोमीटर का सफर

देश में करीब 26 प्रतिशत कॉन्सटेबल हर रोज 40 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करके ड्यूटी पर जाते हैं।

पुलिस थाने में सोना

पुलिस थाने में सोना

20 प्रतिशत पुलिसकर्मी सप्ताह में कम से कम एक बार पुलिस थाने में ही सो जाते हैं।

ट्रैफिक पुलिस को मानसिक तनाव

ट्रैफिक पुलिस को मानसिक तनाव

42 प्रतिशत मानसिक तनाव में और 12 प्रतिशत अत्याध‍िक मानसिक तनाव में जीते हैं।

ड्यूटी के घंटे

ड्यूटी के घंटे

59.7 प्रतिशत पुलिसकर्मी चाहते हैं घटाये जायें ड्यूटी के घंटे।

अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं

अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं

43.5 प्रतिशत पुलिसकर्मी अपनी निजी समस्याओं को किसी से शेयर नहीं करते।

स्टाफ बढ़ाया जाये

स्टाफ बढ़ाया जाये

48.4 प्रतिशत पुलिसकर्मी चाहते हैं कि स्टाफ बढ़ाया जाये।

सैलरी फैक्टर

सैलरी फैक्टर

40.3 प्रतिशत पुलिसकर्मी चाहते हैं कि उनकी सैलरी बढ़ायी जाये।

विभागीय राजनीति

विभागीय राजनीति

32.3 प्रतिशत पुलिसकर्मी चाहते हैं कि विभाग के अंदर राजनीति नहीं होनी चाहिये।

पुलिस वालों का व्यवहार

पुलिस वालों का व्यवहार

उम्मीद है आप समझ गये होंगे कि पुलिस वालों का व्यवहार खराब क्यों होता है।

Comments
English summary
If you go deeply into the statistics of health record of traffic cops, you would feel that traffic cops really needs your Jadu k Jhappi.
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