टीपू सुल्तान की जयंती पर बेंगलुरु में तनाव, वीएचपी कार्यकर्ता की मौत
बेंगलुरु। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में मंगलवार को टीपू सुल्तान की जयंती यहां पर तनाव की वजह में तब्दील हो गई। टीपू की जयंती के विरोध को लेकर दो समुदाय के लोगों के बीच हुई हिंसा हो गई जिसमें में विश्व हिंदू परिषद के 50 साल के एक कार्यकर्ता कुतप्पा की अस्पताल में मौत हो गई।
राज्य सरकार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी कैबिनेट के कई मंत्रियों ने हिस्सा लिया। खबरें हैं कि दोनों गुटों के बीच हुई पत्थरबाजी के दौरान कुतप्पा के सिर पर लगी चोट की वजह से उनकी मौत हो गई।
विश्व हिंदू परिषद और हिंदू सेना ने टीपू सुल्तान को हिंदू विरोधी बताते हुए राज्य सरकार के जयंती मनाने के फैसले का बहिष्कार करने का ऐलान किया था।
वहीं भाजपा ने भी कर्नाटक में 18वीं सदी के प्रसिद्ध शासक टीपू सुल्तान की जयंती पर राज्य सरकार द्वारा आयोजित समारोह का बहिष्कार किया। उसने टीपू को धार्मिक रूप से कट्टर करार दिया है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रहलाद जोशी ने कहा कि हमारी ओर से पूरी तरह से बहिष्कार किया गया, हमारी पार्टी की ओर से किसी भी स्तर के प्रतिनिधि ने आधिकारिक कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया।
टीपू मैसूर साम्राज्य के शासक थे, जिसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का कट्टर दुश्मन माना जाता था। वह मई 1799 में अपना श्रीरंगपटनम किला अंग्रेजी फौज से बचाते हुए मारे गए थे। उन्हें 'मैसूर का शेर' कहा जाता था।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपनी सरकार के टीपू जयंती मनाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि टीपू देशभक्त थे। उन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी। एक तरह से स्वतंत्रता संघर्ष मैसूर की तीन लड़ाइयों से शुरू हुआ।
उन्होंने लड़ाई में अपनी जान गंवा दी। उन्होंने कहा कि आरएसएस बिना वजह उन्हें बदनाम कर रही है, हम यह जयंती मना रहे हैं।