कोरोना काल में तिहाड़ से पेरोल पर छूटे 3468 कैदी नहीं लौटे वापस, जेल प्रशासन ने पुलिस से मांगी मदद
नई दिल्ली, अप्रैल 15। पिछले साल जब कोरोना महामारी फैलना शुरू हुई थी उस समय तिहाड़ जेल ने कैदियों में संक्रमण को रोकने के लिए बड़ी संख्या में कैदियों को रिहा किया गया था लेकिन इसमें से आधे कैदी वापस ही नही लौटे हैं। तिहाड़ जेल से पिछली साल 6740 कैदियों को छोड़ा गया है अब इनमें से 3468 कैदी जेल में नहीं लौटे हैं। जेल प्रशासन ने अब पुलिस से मदद मांगी है।
Recommended Video
जो कैदी लापता बताए जा रहे हैं उनमें अधिकांश गंभीर बीमारी जैसे एचआईवी, कैंसर, किडनी की समस्या, हैपिटाइटिस बी और सी, अस्थमा और टीबी से ग्रसित हैं। कोविड से खतरे को देखते हुए इन मरीजों को रिहा किया गया था। 10,026 कैदियों को रखने की क्षमता के साथ तिहाड़ जेल एशिया की सबसे बड़ी जेल में से एक है।
112
सजायाफ्ता
कैदी
नहीं
लौटे
सूत्रों
के
मुताबिक
सजायाफ्ता
1184
कैदियों
तो
दिल्ली
की
तीन
जेलों
तिहाड़,
मंडोली
और
रोहिणी
से
रिहा
किया
गया
था।
पहले
इन
कैदियों
को
8
सप्ताह
के
लिए
रिहा
किया
गया
जिसे
बाद
में
समय-समय
पर
बढ़ाया
गया
था।
उन्हें
आखिर
में
7
फरवरी
से
6
मार्च
के
बीच
में
जेल
में
वापस
पहुंचना
था
लेकिन
1184
में
से
112
लापता
हैं।
जब
जेल
अधिकारियों
ने
घर
पर
संपर्क
किया
तो
बताया
गया
कि
वे
घर
पर
नहीं
हैं।
इस दौरान जेल से 5556 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया था जिनमें से मात्र 2,200 कैदी ही वापस लौटे हैं। शेष
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की सलाह के बाद सभी राज्यों ने विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए मानदंड बनाने के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समितियों का गठन किया था। इस समिति की सलाह पर राज्यों ने कैदियों को 30 से 60 दिनों के लिए जमानत पर रिहा कर दिया। दिल्ली में बनी समिति का नेतृत्व दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस हिमा कोहली कर रहे थे। इसमें तत्कालीन दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह)/ अपर मुख्य सचिव सत्य गोपाल और तिहाड़ के महानिदेशक (जेल) संदीप गोयल भी शामिल थे।
हाई अलर्ट पर तिहाड़ जेल, 7 अधिकारी और 52 कैदी कोरोना वायरस से हुए संक्रमित