PM Modi के जन्मदिन पर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने लिखी चिट्ठी, शरण देने के लिए जताया आभार
नई दिल्ली। तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके 70वें जन्मदिन की बधाई दी है। दलाई लामा ने चिट्ठी लिखकर उन्हें अपनी बेस्ट विशेज दी हैं। आपको बता दें कि दलाई लामा ने ऐसे समय में पीएम मोदी को बर्थडे विशेज भेजी हैं जब पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ तनाव जारी है। चीन, दलाई लामा को अलगाववादी मानता है। दलाई लामा की तरफ से यह चिट्ठी पीएम मोदी को थेकचेन चोलिंग से लिखी गई है जो हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में है और जहां पर दलाई लामा इस समय रहते हैं।
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भारत को आर्यभूमि मानते हैं तिब्बती
दलाई लामा ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि पीएम मोदी के 70वें जन्मदिन पर दलाई लामा उन्हें शुभकामनाएं देते हैं और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपनी चिट्ठी में भारत के सिद्धांतों अहिंसा और करुणा की भी सराहना की है। दलाई लामा ने लिखा है, 'यह असाधारण तौर पर एक मुश्किल साल है। दुनियाभर के लोग इस समय कोरोना वायरस के डर से गुजर रहे हैं। मेरी उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे रोकने में साथ मिलकर काम करेगा।' दलाई लामा ने अपनी चिट्ठी में इस तरफ भी ध्यान दिलाया है कि भारत में बसे तिब्बती मूल के लोग आज तक इसे एक आर्यभूमि के तौर पर देखते हैं। पीएम मोदी और दलाई लामा की साल 2010 में मुलाकात हुई थी। उस समय वह गुजरात के सीएम थे। हालांकि प्रधानमंत्री बनने के बाद अभी तक दोनों की मीटिंग नहीं हो सकी है।
61 सालों से शरण देने के लिए शुक्रिया
उन्होंने लिखा है, 'पिछले 61 सालों से यह निर्वासित तिब्बती समुदाय के लिए एक घर है और। मैं एक बार फिर से इस मौके पर भारत सरकार और भारत के लिए लोगों का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने इतने अपने से हमें अपनाया हुआ है।' साल 1959 में तिब्बत में हुए असफल सैन्य विद्रोह के बाद दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश के तवांग पहुंचे थे। इस वजह से ही आज तक चीन, अरुणाचल प्रदेश को लेकर अपना विरोध जताता है। चीन अक्सर दलाई लामा की उस प्रतिक्रिया को खारिज कर देता है जिसमें उन्होंने कहा था कि चीनी सेना की बढ़ती कार्रवाई की वजह से उन्हें अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था। दलाई लामा ने साल 2017 में कहा था 58 वर्ष पहले तवांग में उन्हें जिस तरह का स्वागत मिला था, वह उनके लिए 'आजादी का पल' था।'