दिल्ली में हिंसा और डर के बीच इंसानियत की मिसाल कायम करती 3 कहानियां
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में हालात को सामान्य करने की कोशिशें जारी हैं। यहां सोमवार को दो समुदायों के बीच शुरू हुई हिंसा मंगलवार तक कई इलाकों में जा पहुंची। अभी तक 22 लोगों की मौत हो गई है और 200 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है। गृहमंत्री अमित शाह ने 24 घंटे के भीतर तीन बार बैठक की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने आवास पर बैठक की और अमित शाह द्वारा बुलाई गई बैठक में भी शामिल हुए। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया है।
एक तरफ जहां ये हिंसा सांप्रदायिक रंग ले रही थी, वहीं दूसरी तरफ दोनों ही समुदाय के लोग मुश्किल वक्त में आगे भी आए। हम आपको इंसानियत की मिसाल कायम करने वाली ऐसी ही तीन कहानियां बताने वाले हैं।
1. सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल हिंदू दोस्त की मदद की
सबसे पहले बात करते हैं इलाहाबाद के रहने वाले मोहम्मद अनस के बारे में। उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए अपने करीबी दोस्त की मां की मदद की। मंगलवार सुबह मोहम्मद अनस नाम के फेसबुक यूजर ने पोस्ट लिखते हुए कहा, 'मेरे एक बहुत ही करीबी दोस्त का परिवार अकेला हिंदू परिवार है, मुस्लिम मोहल्ले में। उनके घर पर मां अकेली हैं। साठ वर्ष से अधिक उनकी आयु है। पिछले तीस सालों से मुस्तफाबाद में रह रहा है परिवार। अभी थोड़ी देर पहले उनके घर पर अटैक हुआ है। मेरी मुस्तफाबाद में रहने वालों से अपील है कि उन्हें बख्श दें। ऐसा न करें। उनका कोई कसूर नहीं है। यह बहुत ही गलत बात है। मुस्तफाबाद के लोग यदि मेरा पोस्ट पढ़ रहे हैं तो उनकी सुरक्षा करें। हाथ जोड़ कर विनती है मेरी। दिल्ली में रह रहे दोस्त इस पोस्ट को वायरल करें। जैसे भी हो उनकी हिफाजत कीजिए।'
'यही तो है असली हिंदुस्तान'
इस पोस्ट के लिखने के करीब दो घंटे बाद उन्होंने एक और पोस्ट के जरिए बताया कि अब उनकी दोस्त की मां सुरक्षित हैं। उन्होंने दूसरी पोस्ट में लिखा- 'आज मुस्तफाबाद में एक हिंदू ब्राह्मण परिवार की अकेली महिला अपने घर में फंस गईं। बाहर मुस्लिम बलवाईयों की भीड़ तोड़फोड़ कर रही थी। महिला मेरी दोस्त की मां हैं। उसने मुझे फोन किया और मैंने मिनट भर के भीतर अपने फेसबुक से अपील की। मुझे मिनट के अंदर ही कई मुस्लिम दोस्तों के फोन आते हैं। दोस्तों ने अपने मित्रों को फोन लगाना शुरू किया। आखिर में पंद्रह मिनट के अंदर मुस्तफाबाद के उस हिंदू ब्राह्मण परिवार के घर के बाहर दर्जनों मुसलमान पहुंच कर बलवाईयों के बीच से माता जी को सुरक्षित निकाल कर अपने घर में पनाह देते हैं। मोमिन भाई अपने दोस्तों के साथ पहुंच कर माता जी को सुरक्षित अपने घर ले गए हैं। यही तो है असली हिंदुस्तान।'
2. शाहिद के परिवार के लिए फरिश्ता बने भाजपा पार्षद
दूसरी कहानी शाहिद सिद्दीकी की है। सिद्दीकी के घर के बाहर 150 लोगों की भीड़ जमा हो गई थी और वो लोग उनके घर में आग लगाने वाले थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक घटना रात के करीब 11.30 बजे की है। शाहिद के अनुसार, भीड़ ने अचानक 'जय श्री राम' के नारे लगाते हुए उनके पड़ोस की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। सिद्दीकी ने कहा कि भीड़ ने पहले उनके घर के नीचे एक बुटीक जलाया, जो उनके किराएदार का था। एक कार और मोटरबाइक जो परिवार की थी, वो भी भीड़ ने जला दीं।
प्रमोद गुप्ता की वजह से बचा परिवार
शाहिद सिद्दिकी ने कहा, 'भीड़ ने हमारी कार और हमारे गैराज से एक मोटरसाइकिल निकाली और उसमें आग लगा दी। उन्होंने मेरे किराएदार के बुटीक को भी नुकसान पहुंचाया, जिससे कम से कम 20 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।' सूचना पाकर भाजपा पार्षद प्रमोद गुप्ता मौके पर पहुंचे और उन्होंने भीड़ से ऐसा न करने का आग्रह किया। शाहिद सिद्दीकी का परिवार प्रमोद गुप्ता के चलते बच गया। बता दें घर में दो महीने का शिशु भी मौजूद था।
3. मुस्लिम लड़की को भीड़ से बचाकर अपने घर पर दी पनाह
ऐसी ही एक और कहानी है पिंकी गुप्ता की। जिन्होंने मुसीबत में फंसी एक मुस्लिम लड़की की मदद कर उसे सुरक्षित घर पहुंचाया। पिंकी गुप्ता घोंडा इलाके में रहती हैं और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने बताया कि करिश्मा नाम की एक लड़की थी, जो चांद बाग में रहती है और शास्त्री नगर में नौकरी करती है। वो अपने ऑफिस से उस वक्त वापस लौट रही थी। उसे नहीं पता था कि बाहर माहौल इतना खराब है। मेट्रो स्टेशन भी बंद थे तो वह सीलमरपुर मेट्रो स्टेशन पर उतर गई और हमारे मोहल्ले तक आ गई।
बच्ची को फंसे देख उसकी मदद की
पिंकी गुप्ता ने आगे बताया, मोहल्ले में कुछ लड़कों ने उसे (करिश्मा) घेर लिया जिससे वो काफी डर गई। तब फौरन हम लोग वहां पहुंचे और उसकी मदद की। मैं उसे अपने घर लेकर आ गई और यहां उसे पानी पिलाया। मैंने उसे इस बात का यकीन दिलाया कि वो पूरी तरह सुरक्षित है। वो हमसे कह रही थी कि वो चांद बाग में अपने घर जाना चाहती है लेकिन वहां के हालात ठीक नहीं थे। फिर हमने नूर ए इलाही में रहने वाले उसके मामा से बात की और बच्ची को वहां सुरक्षित पहुंचाया। पिंकी ने कहा कि जैसे ही हमने बच्ची को फंसे देखा तो बिना सोचे और समय गंवाए हम उसकी मदद के लिए पहुंच गए। बेटी फिर चाहे किसी की भी हो हमारे लिए तो सब बच्चियां हमारे घर की ही हैं।
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