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जानिए तेजस की स्क्वाड्रन फ्लाइंग डैगर के बारे में ये खास बातें
बेंगलुरु। आखिरकार तेजस और इंडियन एयरफोर्स का तीन दशक का इंतजार एक जुलाई को खत्म हुआ। इस दिन पूरी तरह से देश में बना लाइट कॉम्बेट जेट तेजस अपने दो वर्जन के साथ इंडियन एयरफोर्स में शामिल हो गया।
फ्लाइंग डैगर-45 हजारों का सपना
तेजस की स्क्वाड्रन 'फ्लाइंग डैगर-45' अब इंडियन एयरफोर्स का हिस्सा है। यह दिन न सिर्फ इंडियन एयरफोर्स के लिए बल्कि इसके पीछे शामिल कई लोग और उनकी मेहनत के लिए भी काफी अहम है।
पढ़ें-कई सफलताओं के बाद भी तेजस के लिए हैं कुछ चुनौतियां भी
एक
जुलाई
को
पूजा
पाठ
के
साथ
तेजस
ने
अपनी
आधिकारिक
उड़ान
भरी।
इस
मौके
पर
इस
स्क्वाड्रन
के
ऑफिसर्स,
एयरमेन
और
तमाम
अधिकारी
भी
मौजूद
थे।
आइए
आपको
तेजस
की
इस
स्क्वाड्रन
से
जुड़ी
कुछ
खास
बातों
के
बारे
में
बताते
हैं।
पढ़ें-शुक्रवार को आइएएफ को मिला तेजस का तेज
30 वर्षों बाद पहली स्क्वाड्रन
- फ्लाइंग डैगर नामक एक स्क्वाड्रन वर्ष 1999 में गुजरात के कच्छ स्थित नलिया जिले में थी।
- फ्लाइंग डैगर-45 तेजस की सबसे पहली स्क्वाड्रन है और पुरानी स्क्वाड्रन का नया अवतार है।
- ग्रुप कैप्टन एम रंगचारी तेजस की नई स्क्वाड्रन के पहले कमांडिंग ऑफिसर हैं।
- सात ऑफिसर्स, 42 एयर वॉरियर्स और 11 एनसी तेजस की पहली स्क्वाड्रन के लिए पोस्टेड।
- यह स्क्वाड्रन शुरुआत के दो वर्षों तक बेंगलुरु में होगी।
- दो वर्ष बाद इसे तमिलनाडु के सुलूर में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
- शुक्रवार को तेजस के पहले दो वर्जन एसपी-1 और एसपी-2 ने ताकत का एक नमूना पेश किया।
- एयरफोर्स अगले वर्ष मार्च तक स्क्वाड्रन में छह तेजस शामिल करने की तैयारी में है।
- तेजस की सीमा सिर्फ 400 किमी तक ही है।
- इस वजह से यह हवा से जमीन तक वार करने में बेहतर साबित होगा।
-
तेजस
को
इंडियन
एयरफोर्स
मिग-21
से
रिप्लेस
करेगी।
Comments
English summary
On 1st July 2016 Light Combat aircraft Tejas finally inducted into Indian Air force. First squadron of Tejas named 'Flying Dagger-45' officially became the part of Indian Air Force.
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