#TripleTalaqBill: तीन तलाक पर बने कानून को SC में चुनौती देने की तैयारी में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
लखनऊ। तीन तलाक के खिलाफ लोकसभा में बिल पास होते ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, उसने इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने की बात कही है। इस कानून की कुछ बातों पर उसे सख्त एतराज है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि पर्सनल लॉ बोर्ड के लीगल सेल के कन्वेनर यूसुफ हातिम मुछाला के नेतृत्व में लीगल एक्सपर्ट्स की एक टीम ने इस कानून की समीक्षा की है, जिसके बाद उसने कहा है कि इस कानून को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। बोर्ड को सबसे ज्यादा 3 साल की सजा पर एतराज है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाबा राबे हसन नदवी ने पीएम मोदी को एक खत लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि 'इस कानून को बनाने में पर्सनल लॉ बोर्ड और महिला संगठनों की भी राय ली जानी चाहिए थी, इस बिल में पति को 3 साल की सजा होने पर बीवी को गुजारा भत्ता नहीं मिल पाएगा, इसलिए ये महिला विरोधी है, उन्हें ये बिल बनाने से पहले कम से कम हमसे एक बार पूछना तो चाहिए था।
तलाक-ए-बिन भी शामिल होना चाहिए
इस बिल के मुताबिक अगर पति जेल में रहा तो उस पर लगा जुर्माना तो सरकारी खाते में जाएगा, जबकि वो रकम तो उसकी बीवी को मिलनी चाहिए। बोर्ड को इस बात पर भी एतराज है कि बच्चों की कस्टडी सिर्फ पत्नी को देने की बात कही गई है, उनके हिसाब से इस बिल में तलाक-ए-बिद्दत के साथ तलाक-ए-बिन भी शामिल होना चाहिए।
शरियत के एक्सपर्ट्स को भी शामिल करना चाहिए था
बोर्ड खुद 12 साल से तीन तलाक के खिलाफ लड़ रहा है इसलिए उसने मोदी सरकार को बोला है कि इस कानून को बनाने के लिए ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड, ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड और शरियत के एक्सपर्ट्स को भी शामिल करना चाहिए था, क्योंकि मुसलमानों को यह भी समझना पड़ेगा कि यह कानून शरियत के खिलाफ नहीं है, वो से धर्म से जोड़ रहे हैं बल्कि ये नारी की अस्मिता से जुड़ा हुआ है।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017
आपको बता दें कि गुरुवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 लोकसभा में पास हो गया है। अब इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। अगर मोदी सरकार राज्यसभा में भी इस विधेयक को पास करा लेती है, तो फिर इसको राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा।
मोदी सरकार के लिए आसान नहीं
राज्यसभा से इस बिल को पास कराना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि वहां बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का बहुमत नहीं है। कांग्रेस ने इस बिल का समर्थन किया है लेकिन साथ ही उसने ये भी बोला है कि इस बिल में काफी खामियां हैं, ऐसे में राज्यसभा से बिल को पास करना मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।
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