चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के पोलिंग एजेंट के लिए बदल रहा है ये नियम
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने मतदान केंद्रों पर राजनीतिक दलों की ओर से नियुक्त किए जाने वाले पोलिंग एजेंट को लेकर नियम बदलने का फैसला किया है। चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि अब राजनीतिक दलों को इसकी इजाजत दी जाएगी कि वह एक विधानसभा क्षेत्र के किसी भी पोलिंग बूथ के लिए उस सीट के किसी भी वोटर को पोलिंग एजेंट नियुक्त कर सकती है। पहले यह नियम था कि किसी बूथ का पोलिंग एजेंट वही हो सकता था जो खुद उसी बूथ पर वोटर भी हो। लेकिन, कोरोना की वजह से बदले हालात ने चुनाव आयोग को नियम बदलने पर मजबूर कर दिया है।
किसी
भी
बूथ
का
वोटर
बन
सकता
है
पोलिंग
एजेंट
चुनाव
आयोग
के
एक
वरिष्ठ
अधिकारी
के
मुताबिक,
'नए
नियम
से
राजनीतिक
दलों
को
हर
बूथ
पर
अपना
पोलिंग
एजेंट
नियुक्त
करने
में
सहायता
मिलेगी।
इससे
कोविड-19
जैसी
मुश्किल
घड़ी
में
भी
राजनीतिक
दल
हर
मतदान
केंद्र
पर
अपना
पोलिंग
एजेंट
तैनात
कर
सकेंगे।'
गौरतलब
है
कि
कोविड-19
के
नियमों
की
वजह
से
इस
समय
मतदान
केंद्रों
की
संख्या
बहुत
बढ़
गई
है
और
ऐसे
में
कई
बूथ
ऐसे
थे,
जहां
के
लिए
राजनीतिक
दलों
को
उस
बूथ
के
लिए
ऐसे
पोलिंग
एजेंट
मिल
पाने
में
दिक्कत
हो
रही
थी,
जो
उसी
बूथ
का
वोटर
हो।
कोविड
की
वजह
से
बढ़
गए
हैं
पोलिंग
बूथ
अगर
पश्चिम
बंगाल
का
ही
उदाहरण
लें
तो
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
वहां
सिर्फ
78,903
मतदान
केंद्र
थे,
जो
कि
मौजूदा
विधानसभा
चुनाव
में
बढ़कर
1,01,790
हो
चुके
हैं।
ऐसे
में
सियासी
दलों
की
शिकायत
थी
कि
उनके
लिए
हर
बूथ
पर
अपना
पोलिंग
एजेंट
नियुक्त
करने
में
परेशानी
हो
रही
है।
वोटिंग
से
72
घंटे
के
बीच
बाइक
रैली
की
इजाजत
नहीं
मौजूदा
विधानसभा
चुनावों
के
मद्देनजर
चुनाव
आयोग
ने
एक
और
बड़ा
फैसला
लिया
है।
अब
आयोग
ने
तय
किया
है
कि
वोटिंग
से
72
घंटे
पहले
तक
ही
बाइक
रैली
की
इजाजत
दी
जाएगी।
इसके
बाद
ऐसी
रैली
नहीं
निकाली
जा
सकेगी।
अधिकारी
के
मुताबिक
ऐसा
डर
था
कि
चुनाव
से
ठीक
पहले
इस
तरह
की
बाइक
रैली
से
वोटरों
को
प्रभावित
किया
जा
सकता
है।
पश्चिम
बंगाल
में
294
विधानसभा
सीटों
के
लिए
8
चरणों
में
27
मार्च
से
29
अप्रैल
के
बीच
वोटिंग
होनी
है।
नतीजे
चारों
राज्यों
और
एक
केंद्र
शासित
प्रदेश
में
2
मई
को
आएंगे।