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तेलंगाना : केसीआर ने इन तीन वजहों से चला जल्द चुनाव का दांव

अगर राज्य में विधानसभा चुनाव तय वक़्त पर यानी अगले साल होते तो उसी वक़्त आम चुनाव भी होते. केसीआर ऐसी स्थिति से बचना चाह रहे थे.

आम चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव होने की स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व की वजह से स्थानीय मुद्दे पर्दे के पीछे जा सकते थे.

By BBC News हिन्दी
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चंद्रशेखर राव
AFP
चंद्रशेखर राव

भारत के दक्षिणी राज्य तेलंगाना में कैबिनेट का प्रस्ताव पारित होने के बाद गुरुवार को विधानसभा भंग कर दी गई.

मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के प्रस्ताव को राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने मंज़ूर कर लिया.

इसके साथ ही प्रदेश में तय वक़्त से करीब नौ महीने पहले विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ हो गया. राज्य में विधानसभा चुनाव अगले साल मई में होने थे.

तेलंगाना में चुनाव चार अन्य राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिज़ोरम में होने वाले चुनावों के साथ कराए जा सकते हैं.

केसीआर के नाम से मशहूर मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चुनाव नवंबर में होंगे और नतीजों का ऐलान दिसंबर के पहले हफ़्ते में हो जाएगा.

चंद्रशेखर राव
Getty Images
चंद्रशेखर राव

मुख्यमंत्री राव ही राज्य की सत्ताधारी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष भी हैं. तेलंगाना के गठन के बाद उन्होंने पहले मुख्यमंत्री के तौर पर 2 जून 2014 को शपथ ली थी. चुनाव में उनकी पार्टी ने 119 में से 63 सीटों पर जीत हासिल की थी.

विधानसभा को तय वक़्त से पहले भंग किए जाने को लेकर बीते एक महीने से अटकलों का दौर जारी था. अब सस्पेंस ख़त्म हो चुका है.

अपने फ़ैसले का कारण बताते हुए मुख्यमंत्री केसीआर ने कहा, "बीते कुछ समय से विपक्षी दलों के आधारहीन और गैरजिम्मेदार आरोपों की वजह से राज्य में राजनीतिक स्थिति सहज नहीं थी. इससे प्रदेश का विकास प्रभावित हो रहा था. हमने इस स्थिति को ख़त्म करने के लिए लोगों के पास जाने और नए सिरे से जनमत लेने का फ़ैसला किया."

हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि केसीआर के इस फ़ैसले के पीछे तीन अहम कारण हो सकते हैं.

पहला कारण

राज्य में इस वक़्त विपक्ष चुनाव का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है. साल 2014 में 21 सीटें जीतने वाली मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस अपने घर को दुरुस्त करने में जुटी है. ये भी अटकलें हैं कि तेलुगू देशम और कांग्रेस दोनों एक साथ आकर टीआरएस का मुक़ाबला करना चाहती हैं.

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दूसरा कारण

अगर राज्य में विधानसभा चुनाव तय वक़्त पर यानी अगले साल होते तो उसी वक़्त आम चुनाव भी होते. केसीआर ऐसी स्थिति से बचना चाह रहे थे.

आम चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव होने की स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व की वजह से स्थानीय मुद्दे पर्दे के पीछे जा सकते थे.

विश्लेषकों का कहना है कि वो राज्य में राष्ट्रपति चुनाव की तर्ज़ का मुक़ाबला चाहते हैं. जिसमें उनके मुक़ाबले कांग्रेस के जो भी उम्मीदवार होंगे, उन्हें उस पर बढ़त हासिल रहेगी. राज्य में कांग्रेस के पास केसीआर के मुक़ाबले का कोई दमदार नेता नहीं है.

तीसरा कारण

सबसे अहम कारण ये है कि एक दर्जन से ज़्यादा सर्वेक्षणों के जरिए केसीआर को लगता है कि राज्य में मौजूदा हालात और मूड उनकी पार्टी टीआरएस के पक्ष में है.

केसीआर ने कहा, "सर्वे इशारा देते हैं कि हम सौ से ज्यादा सीटें जीतेंगे."

जाहिर है चंद्रशेखर राव अच्छे मॉनसून का पूरा फ़ायदा लेना चाहते हैं. राज्य के सभी डैम पानी से लबालब हैं. पूरे राज्य में किसानों को प्रति एकड़ चार हज़ार रुपये दिए जाने समेत लुभावनी योजनाओं से प्रदेश का मूड खुशनुमा है.

जीत का भरोसा

केसीआर ने भरोसा जाहिर किया है कि बीते चार साल में किए गए काम को लेकर लोग उन्हें जोरदार समर्थन देंगे.

उन्होंने कहा, "तेलंगाना ने बीते चार साल में 17.17 फ़ीसदी की व्यापक आर्थिक प्रगति हासिल की है. इस साल के पहले पांच महीनों में वृद्धि दर 21.96 फ़ीसदी रही. कोई दूसरा राज्य तेलंगाना को छू भी नहीं सकता. तेलंगाना देश का इकलौता राज्य है जो किसानों को 24 घंटे मुफ़्त बिजली देता है."

केसीआर ने कहा कि साल 2014 में टीआरएस के घोषणापत्र में जो वादे किए गए थे, उन सभी को पूरा किया गया. उनकी सरकार ने 76 अन्य कल्याणकारी योजनाएं भी लागू की थीं, जिनका वादा भी नहीं किया गया था.

उन्होंने ये भी कहा कि राज्य में पूरी तरह से शांति स्थापित है. सांप्रदायिक दंगों, माओवादी हिंसा या फिर अविभाजित आंध्र प्रदेश की तरह फ़र्जी मुठभेड़ का एक भी मामला सामने नहीं आया है. राज्य की प्रगति बरकरार रखने के लिए उन्होंने लोगों से समर्थन मांगा है.

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अमित शाह, नरेंद्र मोदी
Getty Images
अमित शाह, नरेंद्र मोदी

नहीं करेंगे गठजोड़

उन्होंने कहा कि कांग्रेस तेलंगाना के लोगों को कांग्रेस की 'दिल्ली सल्तनत का ग़ुलाम' बनाना चाहती थी और टीडीपी उन्हें आंध्र का ग़ुलाम बनाना चाहती है.

उन्होंने इस बात से इनकार किया उनकी भारतीय जनता पार्टी से नजदीकियां बढ़ रही हैं.

उन्होंने कहा, "किसी भी पार्टी के साथ गठजोड़ नहीं होगा और राज्य में त्रिकोणीय संघर्ष होगा."

केसीआर ने ये भी माना कि टीआरएस के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) एक दोस्ताना पार्टी की तरह है. उन्होंने उनकी सरकार को अहम मौके पर समर्थन दिया था.

चुनाव के लिए टीआरएस कितनी तैयार है, इसकी झलक इस बात से मिली कि विधानसभा भंग होने के कुछ ही घंटों में केसीआर ने अपनी पार्टी के 105 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. उन्होंने कहा कि बाकी 14 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा एक हफ़्ते में कर दी जाएगी.

तेलंगाना : साल 2014 विधानसभा चुनाव प्रदर्शन (कुल सीट- 119)

पार्टी

सीट

वोट प्रतिशत

टीआरएस

63

34.3%

कांग्रेस

21

25.2%

टीडीपी

15

14.7%

बीजेपी

05

7.1%

एआईएमआईएम

07

3.8%

अन्य

08

14.9%

कांग्रेस की तैयारी

इस बीच, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एन उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है.

उन्होंने कहा कि चुनाव में लोग केसीआर के भ्रष्ट और पारिवारिक राज्य को खारिज करेंगे और कांग्रेस जीत हासिल करेगी. उन्होंने कहा कि केसीआर को बताना चाहिए कि उन्होंने जल्दी चुनाव कराने का फ़ैसला क्यों किया, इससे राज्य पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा.

चंद्रबाबू नायडू और चंद्रशेखर राव
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चंद्रबाबू नायडू और चंद्रशेखर राव

दिलचस्प है कि साल 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने राज्य विधानसभा में तय वक्त से पहले चुनाव कराने का फ़ैसला किया था. चुनाव आयोग ने साल 2004 के संसदीय चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराए थे और नायडू की तेलुगू देशम पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था.

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English summary
Telangana KCR chose election because of these three reason soon
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