'तमिलनाडु की शांति के लिए खतरा हैं राज्यपाल RN रवि, पद से तुरंत हटाया जाए'- DMK ने राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन
तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल आरएन रवि के बीच तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। इसी बीच बुधवार को सत्तारूढ़ डीएमके ने उन्हें राज्य की शांति के लिए खतरा बताया और राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंप कर पद से हटाने की मांग की है। डीएमके ने राष्ट्रपति को सौंपे ज्ञापन में कहा है कि " राज्यपाल को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को लोगों की सेवा करने से रोकने" के लिए तुरंत हटाया जाए। साथ ही डीएमके की तरफ से राज्यपाल पर सांप्रदायिक हिंसा को भी भड़काने का आरोप लगाया गया है।
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डीएमके ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे गए ज्ञापन में कहा है कि "राज्यपाल आरएन रवि ने संविधान और कानून के संरक्षण, रक्षा और बचाव की शपथ का उल्लंघन किया है।" साथ ही सत्तारूढ़ पार्टी की तरफ से यह भी आरोप लगाया है कि राज्यपाल की तरफ से विधानसभा की तरफ से पारित विधेयकों को अनावश्यक रूप से जानबूझकर राष्ट्रपति को नहीं भेजा जाता है।
मुख्यमंत्री
ने
स्टालिन
बोले
राज्यपाल
हिंसा
भड़काते
हैं
मुख्यमंत्री
एमके
स्टालिन
के
नेतृत्व
वाली
पार्टी
ने
आरएन
रवि
को
संवैधानिक
पद
के
लिए
अयोग्य
करार
देते
हुए
कहा
कि
वे
सरकार
के
प्रति
असंतोष
भड़काने
का
प्रयास
करते
रहते
हैं।
ऐसे
में
उन्हें
तुरंत
पद
से
बर्खास्त
किया
जाए।
हालांकि,
पार्टी
के
इस
बयान
पर
राज्यपाल
आरएन
रवि
की
तरफ
से
अभी
कोई
बयान
नहीं
जारी
किया
गया
है।
डीएमके
ने
राज्यपाल
को
हटाने
के
लिए
इस
महीने
सांसदों
को
लिखा
था
पत्र
डीएमके
ने
राज्यपाल
को
हटाने
के
लिए
इस
महीने
सामान
विचारधारा
वाले
सांसदों
को
पत्र
लिखा
था।
इस
पत्र
के
जरिए
उनसे
राज्यपाल
को
हटाने
की
मांग
की
गई
थी।
वहीं,
डीएमके
पार्टी
की
तरफ
से
कहा
गया
है
कि
प्रदेश
में
20
से
अधिक
विधेयकों
को
राज्यपाल
की
तरफ
से
मंजूरी
अभी
तक
नहीं
दी
गई
है।
कानून
के
मुताबिक
राज्यपाल
को
राष्ट्रपति
द्वारा
नियुक्त
या
हटाया
जा
सकता
है।
वहीं,
यदि
कोई
विधेयक
राज्य
मंत्रिमंडल
द्वारा
स्वीकृति
के
लिए
भेजा
जाता
है
तो
राज्यपाल
उसे
एक
बार
वापस
भेज
सकता
है।
यदि
कैबिनेट
विधेयक
को
राज्यपाल
को
दोबारा
भेजता
है
तो
वे
उसे
वापस
नहीं
भेज
सकते।
तमिलनाडु,
केरल
और
तेलंगाना
में
अक्सर
राज्यपाल
से
होती
रहती
है
राजनीति
आपको
बता
दें
कि
तमिलनाडु,
केरल
और
तेलंगाना
साउथ
के
तीन
राज्य
ऐसे
हैं,
जहां
पर
आए
दिन
राज्यपाल
और
सरकार
के
बीच
खींचतान
देखने
को
मिलती
रहती
है।
इन
तीनों
ही
राज्यों
में
पार्टियों
की
तरफ
से
राज्यपाल
पर
केंद्र
सरकार
की
कठपुतली
होने
का
आरोप
लगाया
जाता
रहता
है।
साथ
ही
क्षेत्रीय
पार्टियों
की
तरफ
से
राज्यपाल
पर
भाजपा
को
मजबूत
करने
का
आरोप
भी
लगाया
जाता
रहता
है।
डीएमके
ने
इससे
पहले
तेलंगाना
के
राज्यपाल
पर
लगाया
था
आरोप
डीएमके
की
तरफ
से
इससे
पहले
तेलंगाना
के
राज्यपाल
पर
भी
आरोप
लगाया
गया
था।
पार्टी
ने
कहा
था
कि
तेलंगाना
की
राज्यपाल
तमिलिसाई
सुंदरराजन
पहले
तमिलनाडु
में
भाजपा
की
एक
वरिष्ठ
नेता
थीं।
ऐसे
में
जब
से
वह
तेलंगाना
की
राज्यपाल
बनीं
हैं,
तब
से
राज्य
के
विश्वविद्यालयों
में
भर्तियों
को
लेकर
उनकी
मुख्यमंत्री
के
चंद्रशेखर
राव
से
तकरार
होती
रहती
है।
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