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कोरोना की शुरुआती स्टेज में स्टेरॉयड लेने से शरीर में घट सकता है ऑक्सीजन का स्तर - एम्स प्रमुख रणदीप गुलेरिया

पूरा देश इस समय कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। अब तक कई कोविड मरीज ऑक्सीजन की कमी से अपनी जान गंवा चुके हैं।

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नई दिल्ली, 4 मई। पूरा देश इस समय कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। अब तक कई कोविड मरीज ऑक्सीजन की कमी से अपनी जान गंवा चुके हैं। कोरोना के शुरुआती लक्षण सामने आने पर ही कई मरीज स्टेरॉयड ले रहे हैं, सीटी स्कैन करवा रहे हैं या कोरोना का टेस्ट करवा रहे हैं। ऐसे मरीजों के लिए एम्स प्रमुख डॉ. रणदीप गुलेरिया ने चेतावनी जारी की है।

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Randeep Guleria

कोरोना को लेकर प्रभावी क्लीनिकल मैनेजमेंट को लेकर डॉ. गुलेरिया ने कहा कि अस्पतालों ने कई ऐसे मरीज देखे जिन्होंने कोरोना के हल्के लक्षण होने पर स्टेरॉयड का सेवन किया, जिससे वायरस के बढ़ने की प्रवृत्ति को मजबूती मिली और इसकी वजह से उनमें शरीर में ऑक्सीजन का स्तर भी घट गया।

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डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कोरोना के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर स्टेरॉयड का सेवन करने से वायरस को और मजबूती मिलती है। कुछ मामलों में ऐसा देखा गया कि स्टेरॉयड लेने से मामूली लक्षण गंभीर हो गए और उनमें निमोनिया की शिकायत हो गई। कोरोना होने पर शुरुआती पांच दिन में स्टेरॉयड लेने से कुछ समाधान नहीं निकलेगा।

उन्होंने आगे कहा कि शुरुआती लक्षणों में केवल तीन उपाय कारगर हैं- पहला ऑक्सीजन थेरेपी, दूसरा जब लक्षण बहुत कम हों और ऑक्सीजन का स्तर गिरे तो ही स्टेरॉयड का सेवन करें और तीसरा एंटीकौयगुलांट (वो दवाएं जो रक्त का थक्का जमने से रोकने में काम आई हैं।)। क्योंकि हम जानते हैं कोविड निमोनिया वायरल निमोनिया से अलग है और इसमें रक्त का थक्ता जमने जैसी परेशानी होती है। इससे फेंफड़ों में रक्त का थक्का जम सकता है जिसकी वजह से शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसके साथ मैं यह भी कहना चाहूंगा कि मामूली लक्षण होने पर एंटीकौयगुलांट का सेवन न करें।

डॉ. गुलेरिया ने मामूली लक्षण होने पर सीटी स्कैन और बायोमार्कर टेस्ट भी न करवाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि लक्षण यदि बढ़ते हुए दिखें तभी डॉक्टर की सलाह पर इन जांचों को करवाएं। वायोमार्कर का अनावश्यक उपयोग मरीज की परेशानी बढ़ा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि हमने कई मामलों में देखा कि कई लोगो रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर सीटी स्कैन करा रहे हैं। यही नहीं लोग हर तीन से चार दिन में सीटी स्कैन करा रहे हैं। इससे आपके शरीर में विकीरण बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना की शुरुआत होने या होम आईसोलेशन होने या ऑक्सीजन का स्तर सामान्य होने पर सीटी स्कैन कराने से कोई फायदा नहीं है। अध्ययन बतातें हैं कि 30-40% बगैर लक्षण वाले मरीजों में सीटी स्कैन रिपोर्ट में कोरोना के मालूली लक्षण मिले लेकिन वह बिना किसी उपचार के ठीक हो गए।

सीटी स्कैन के अन्य हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि एक बार सीटी स्कैन कराना 300-400 बार छाती का एक्स-रे कराने के बराबर है। जो कि आधिकारिक आंकड़ा है। सीटी स्कैन कराने से भविष्य में कैंस होने का खतरा बढ़ जाता है, खास तौर से कम उम्र के लोगों में। इसके अलावा उन्होंने बेवजह बायोमार्कर का इस्तेमाल न कराने की भी सलाह दी।

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English summary
Taking steroids in the early stage of corona can decrease the level of oxygen in the body - AIIMS chief Randeep Guleria
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