फाइलों पर चलता स्वच्छ भारत मिशन
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) देश साफ-सुथरा और सुंदर हो, ये कौन नहीं चाहता। पर कई राज्य इस मोर्चे पर फेल हो रही है। मोदी सरकार का स्वच्छ भारत मिशन कम से एक दर्जन सूबों में ठंडा पड़ा हुआ है। ये इनमें लगभग कागजों पर चल रहा है।
अरुणाचल प्रदेश, बिहार, बंगाल,झारखंड,त्रिपुरा असम समेत करीब एक दर्जन राज्यों में इस पर तेजी से काम नहीं चल रहा है। सारा मिशन फिलहाल कागजों पर है। इन राज्यों में घरों में टायलेट बनाने को लेकर कोई बड़ी पहल चालू हीं हुई है।
पैसा डकार गए
जानकारों ने बताया कि केन्द्र सरकार ने पश्चिम बंगाल को स्वच्छता मिशन के लिए 21 करोड़, केरल को 16 करोड़, बिहार को साढ़े 8 करोड़, झारखंड को 4 करोड़ रुपये, अरुणाचल प्रदेश को सवा करोड़ दिए। पर काम कायदे से चालू नहीं हुआ।
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आहवान मोदी का
इसके अलावा नरेन्द्र मोदी का देश के कोरपोरेट घरानों को स्कूलों में टायलेट का निर्माण करने का जो आहवान किया गया था, उस पर सही तरीके से काम नहीं हो रहा।
मोदी सरकार ने देश के सभी स्कूलों में टायलेट बनाने का आहवान किया था। उसके बाद बहुत से निजी तथा प्राइवेट क्षेत्र की कंपनियों ने वादे किए थे कि वे देश के विभिन्न भागों के स्कूलों में टायलेट बनाएंगे।
हाले-ए-कंपनियां
इस बीच, सरकारी और प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां भी अपने वादे को नहीं निभा पा रही है। रकारी क्षेत्र के उपक्रम एनटीपीसी ने वादा किया था कि वह 15 अगस्त, 2016 तक 25 हजार स्कूलों में टायलेट बना दी।
पर एनटीपीसी ने जुलाई,2015 तक 9,664 टायलेट बनाए। कोल इंडिया ने 50 हजार टायलेट बनाने का वादा किया था। बनाए करीब 16 हजार। इंफोसिस ने 254 टायलेट बनाने का वादा किया था। बनाए मात्र 5।