सर्वे: कितने फीसदी हिन्दू और मुसलमानों के बेस्ट फ्रेंड हैं दूसरे धर्म के लोग
सर्वे में सामने आया है कि करीब 91 प्रतिशत हिंदुओं के पक्के दोस्त उनके अपने समुदाय के ही हैं।वहीं 95 फीसदी मुसलमानो के के करीबी दोस्त मुसलमान ही हैं।
नई दिल्ली। कहा जाता है कि राजनीति भले ही किसी भी दिशा में जाए लेकिन दोस्ती इससे अछूती रहती है और जाति-मजहब कभी भी दोस्ती के आड़े नहीं आती है। सीएसडीएस ने इसी बात को लेकर एक सर्वे किया है कि क्या दोस्ती में मजहब का भी कोई किरदार है और दूसरे धर्मों में लोग दोस्ती करने में कितने सहज हैं।
दूसरे धर्मों के लोगों से दोस्ती पर क्या बोले हिन्दू-मुसलमान?
सीएसडीएस के सर्वे के अनुसार केवल 33 प्रतिशत हिंदुओं के दोस्त मुसलमान हैं। वहीं करीब 91 प्रतिशत हिंदुओं के पक्के दोस्त उनके अपने समुदाय के ही हैं। सर्वे में 74 फीसदी मुस्लिमों ने कहा कि उनकी हिंदुओं से नजदीकी दोस्ती है। 95 फीसदी मुसलमानो के के करीबी दोस्त मुसलमान ही हैं। सर्वे में पाया किगुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा में मुस्लिम समुदाय अलग-थलग रहना ही पसंद करता है।
मुसलमानों की देशभक्ति पर संदेह!
सर्वे में दिलचस्प बात ये भी सामने आई कि 13 प्रतिशत हिंदुओं ने ही मुसलमानों को सच्चा देशभक्त माना। हिंदुओं के उलट 77 प्रतिशत मुसलमान अपने समुदाय को पक्का देशभक्त मानते हैं। वहीं केवल 26 प्रतिशत ईसाई मुसलमानों को देशभक्त मानते हैं। 11 प्रतिशत सिखों ने मुसलमानों को देशभक्त कहा। सर्वे में देशभक्ति पर भी एक-दूसरे समुदाय के बारे में सवाल किए गए।
ईसाइयों और सिखों की देशभक्ति को कैसे देखते हैं हिन्दू?
सर्वे के आंकड़ों के हिसाब से ईसाइयों और सिखों की देशभक्ति को भी हिंदू संदेह से देखते हैं। सर्वे के अनुसार, 20 फीसदी हिंदू ही ईसाइयों को देशभक्त मानते हैं। वहीं 47 प्रतिशत हिन्दुओं ने सिखों को देशभक्त माना है। सर्वे में सिखों से हिन्दुओं की देशभक्ति को लेकर हुए सवाल पर 66 प्रतिशत सिखों ने ही हिंदुओं को देशभक्त माना।
भारत में सिर्फ छह फीसदी 'उदार'
सर्वे में मिले आंकड़ों के आधार पर सीएसडीएस ने भारतीयों को उनके जवाब के आधार पर उदार, सीमित उदार और बहुसंख्यकवादी में बांटा। सर्व में शामिल होने वाले से पूछा गया- क्या गाय का सम्मान न करने वालों, सार्वजनिक जगहों पर भारत माता की जय न कहने वालों, बीफ या गाय का मीट खाने वालों, राष्ट्रगान के लिए खड़े न होने वालों, धार्मिक बहस करने वालों को सजा दी जानी चाहिए? इन सवालों के जवाब देने वाले 72 प्रतिशत में 'बहुसंख्यकवादी' नजरिया अपनाया। जबकि 17 प्रतिशत को 'सीमित उदार' और केवल छह प्रतिशत को 'उदार' पाया गया।