India Pakistan: जानिए क्यों इंडियन एयरफोर्स ने बालाकोट में हमले के लिए चुना मिराज 2000 को
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नई दिल्ली। इंडियन एयर फोर्स (आईएएफ) के मिराज 2000 फाइटर जेट्स ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ कॉन्वॉय पर आत्मघाती हमले का बदला ले लिया। मिराज 2000 को चुनना, आईएएफ के लिए एक रणनीतिके लेकिन मुश्किल फैसला था। आईएएफ जिसके पास सुखोई जैसा फाइटर जेट हो, उसने इस ऑपरेशन के लिए फ्रांस में बने सुपरसोनिक जेट मिराज को चुना। यह फैसला यूं ही नहीं लिया गया बल्कि इसके पीछे कई और वजहें थीं। मिराज दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फाइटर जेट्स में से एक है। जानिए आखिर आईएएफ ने मिराज को ही क्यों इस ऑपरेशन के लिए चुना।
लेसर गाइडेड बम से हुए हमले
मंगलवार रात तड़के 3:30 बजे इंडियन एयरफोर्स के मिराज फाइटर जेट्स ने हमले शुरू किए। मिराज को हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की तरफ से डसॉल्ट एविएशन के लाइसेंस तहत तैयार किया जाता है। यह वही फ्रेंच कंपनी है जिसे राफेल मीडियम मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट आईएएफ के लिए तैयार करना है। मिराज 2000 पाकिस्तान के एयरस्पेस के अंदर दाखिल हुए और 1000 किलोग्राम वाले लेजर गाइडेड बम से जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप्स पर हमले किए गए।
मिग-29 और सुखोई के बीच चुना गया मिराज
आईएएफ के पास सुखोई-30 एमकेआई और मिग-29 जैसे फाइटर जेट्स हैं। इसके अलावा तेजस भी अब आईएएफ का हिस्सा है लेकिन एक बार फिर से मिराज-2000 पर आईएएफ ने भरोसा किया। मिराज-2000 को कारगिल की जंग के समय भी प्रयोग किया था। उस समय भी मिराज को क्रॉस बॉर्डर स्ट्राइक के लिए प्रयोग किया गया था। विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक हमले में 300 से ज्यादा जैश आतंकी ढेर हुए हैं। हमले को जैश के बालाकोट अड्डे पर अंजाम दिया गया है।
एयरफोर्स का सबसे खतरनाक एयरक्राफ्ट
मिराज, एयरफोर्स का सबसे खतरनाक एयरक्राफ्ट है। इसे साल 1985 में इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। इसके तुरंत बाद मिराज को भारत में वज्र नाम दिया गया था जिसक संस्कृत में अर्थ है-बिजली। मिराज ने पहली बार साल 1978 में उड़ान भरी थी और साल 1984 में यह फ्रांस एयरफोर्स का हिस्सा बना था। भारत ने साल 1982 में 36 सिंगल सीटर और चार ट्विन सीटर मिराज जेट का ऑर्डर फ्रांस को दिया था। यह एयरक्राफ्ट उस समय खरीदे गए जब पाकिस्तान ने अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन के साथ एफ-16 फाइटर जेट्स की डील की थी।
करगिल कीं जंग में भी छुड़ाए थे दुश्मनों के छक्के
कारगिल की जंग में भूमिका अदा करने वाला मिराज उस समय से ही वायुसेना का अभिन्न हिस्सा बन गया। इस जेट की सफलता को देखने के बाद भारत ने साल 2004 में 10 और मिराज 2000 का ऑर्डर फ्रांस को दिया। इसके साथ ही भारत के पास कुल 50 मिराज जेट हो गए। इसके बाद साल 2011 में मिराज2000 को अपग्रेड किया गया और यह जेट मिराजल 2000-5 एमके बन गया। इस जेट्स की लाइफ अपग्रेड होने के बाद बढ़ी और अब यह साल 2030 तक सर्विस में रह सकता है।
2336 किलोमीटर की स्पीड से उड़ान
मिराज 2000 में सिंगल शाफ्ट इंजन का प्रयोग होता है और अगर दूसरे फाइटर जेट्स से इसकी तुलना करें तो यह बहुत ही साधारण है। इस इंजन को पहली बार सन् 1970 में तैयार किया गया था। मिराज एक सिंगल सीटर पायलट के लिए डिजायन किया गया था। इस जेट का वजन 7500 किलोग्राम है और टेक ऑफ के समय इसका वजन करीब 17000 किलोग्राम तक हो जाता है। मिराज 2000 की अधिकतम स्पीड 2336 किलोमीटर प्रति घंटा यानी मैक 2.2 है। यह ड्रॉप टैंक्स के साथ 1550 किलोमीटर तक 59,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
बम से लेकर मिसाइल तक से हमले करने में सक्षम
मिराज 2000 एक फ्लाई बाइ वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम से लैस है। साथ ही इसमें सेक्सटैंट वीई-130 एचयूडी इंस्टॉल है जो फ्लाइट कंट्रोल, नेविगेशन, टारगेट की स्थिति और हथियारों की फायरिंग जैसे डाटा को डिस्प्ले करता है। मिराज 2000 लेसर गाइडेड बम के अलावा हवा से हवा में मार कर सकने वाली और हवा से जमीन पर मार कर सकने वाली मिसाइल को भी कैरी कर सकता है। इसमें एक थॉम्सन-सीएसएफ आरडीवाई यानी रडार डॉप्लर मल्टी टारगेट रडार भी है।