India Pakistan: इंडियन एयरफोर्स ने 1971 की जंग के बाद पार की एलओसी, वाजपेयी झिझके लेकिन मोदी नहीं
नई दिल्ली। 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद हर किसी को बस इस बात का इंतजार था कि क्या केंद्र सरकार और सेना इस हमले का बदला लेगी? 12 दिन बाद 26 फरवरी को जब लोग सुबह उठे तो उन्हें गुड न्यूज मिल चुकी थी। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के 12 मिराज 2000 फाइटर जेट एलओसी पार करके बालाकोट में दाखिल हुए और उन्होंने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप्स पर हमला किया। करीब 1000 किलोग्राम बम गिराए गए और 300 से ज्यादा आतंकी मारे गए। सबसे दिलचस्प बात है कि हमला इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने खैबर-पख्तूनख्वा में जाकर इस हमले को अंजाम दिया है।
क्यों रणनीतिक तौर पर अहम है आईएएफ का एक्शन
इंडियन एयरफोर्स के लिए यह कार्रवाई रणनीतिक तौर पर काफी सफल इसलिए है क्योंकि सन् 1971 की जंग के बाद आईएएफ ने एलओसी पार की। उसके जेट्स करीब 48 वर्ष बाद पाकिस्तान के एयरस्पेस में दाखिल हुए थे। कारगिल की जंग के समय मिराज, पीओके तक गया था। उस समय प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने एयरफोर्स को पाकिस्तान में दाखिल होने से रोक दिया था।
पाक के अहम हिस्से पर एयरफोर्स का हमला
विदेश सचिव विजय गोखले ने मीडिया को इस पूरे ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया, 'यह ऑपरेशन पूरी तरह से विश्वसनीय इंटेलीजेंस के बाद चलाया गया था। इंटेलीजेंस में जैश की ओर से देश भर में आतंकी हमलों की साजिश रची जा रही थी।' बालाकोट टाउन खैबर-पख्तूनख्वा में आता है जो कि पाक का एक अहम प्रांत है। यह हिस्सा पाक का हिस्सा है और इस वजह से आईएएफ का ऑपरेशन काफी बड़ा हो जाता है।
इस वजह से एयरफोर्स के प्रयोग से बचे वाजपेयी
कारगिल की जंग के समय भारत और पाकिस्तान दोनों पर ही अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ गया था। इस युद्ध में जैसे इस एयरफोर्स शामिल हुई, युद्ध भारत के पक्ष में हो गया। इंडियन एयरफोर्स ने कारगिल की जंग के समय ऑपरेशन सफेद सागर लॉन्च किया था। उस समय भी मिराज का ही प्रयोग हुआ था। वाजपेयी नहीं चाहते थे कि भारत दूसरे देश की जमीन पर हमला करे। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अगर कोई देश विदेशी धरती पर हवाई हमला करता है तो वह युद्ध माना जाता है।
26 मई 1999 को लॉन्च हुआ ऑपरेशन सफेद सागर
कई देश आज इससे बचते हैं और कहीं न कहीं वाजपेयी नहीं चाहते थे कि भारत की छवि युद्ध की शुरुआत करने वाले देश की बने। एयरफोर्स के शामिल होने से तनाव बढ़ सकता था। इसलिए ही शुरुआत में आईएएफ को बस लॉजिस्टिक और एयर सपोर्ट के रोल में ही रखा गया था। लेकिन 26 मई 1999 को एयरफोर्स ने ऑपरेशन सफेद सागर लॉन्च कर दिया था। इसके बाद भी उन्हें एलओसी पार करने की अनुमति नहीं दी गई थी।