SC verdict on Demonetisation: नोटबंदी को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने बताया सही, सभी याचिका खारिज
वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है
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SC verdict on Demonetisation: नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सही ठहराया है। नोटबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज पांच जजों की बेंच ने इस मामले पर अपना फैसला देते हुए नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है। साथ ही कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नोटबंदी के ऐलान के बाद 52 दिन का समय नोट को बदलने के लिए दिया गया था, लिहाजा इसे गलत नहीं कहा जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी के लक्ष्य की प्राप्ति हुई या नहीं यह मायने नहीं रखता है। बता दें कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में नोटबंदी का ऐलान किया था, जिसके बाद 500 और 1000 की नोटो को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नोटबंदी के फैसले से पहले केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच इसको लेकर चर्चा हुई थी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह का फैसला लेने के लिए केंद्र और आरबीआई ने उचित चर्चा की थी और हमारा मानना है कि यह मनमाना फैसला नहीं था। गौर करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी के फैसले के खिलाफ जो याचिकाएं दायर की गई थीं उसमे कहा गया था कि यह गैरकानूनी थी और संविधान के खिलाफ थी। लेकिन कोर्ट ने केंद्र के फैसले को सही ठहराते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया।
जस्टिस बीआर गवाई ने फैसला सुनाते हुए कहा कुल 9 मसले हमारे सामने आए थे, जिन्हें हमने 6 में तब्दील किया। इसमे मुख्य रूप से सवाल यह था कि क्या केंद्र के पास यह अधिकार था कि वह आरबीआई एक्ट के तहत यह फैसला ले सके। जस्टिस गवई ने कहा कि यह फैसला सिर्फ इसलिए गलत नहीं हो सकता है कि इसकी जानकारी केंद्र की ओर से दी गई। पांच जजों की बेंच जस्टिस बीएन नगरथना का मत अलग था। उन्होंने कहा कि अगर नोटबंदी का ऐलान केंद्र सरकार की ओर से किया जाना था तो इसके लिए एंट्री 36 का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था, जोकि करेंसी, नोट, लीगल टेंडर, फॉरेन एक्सचेंज को लेकर है।