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AGR बकाया मामले में टेलीकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, याचिका खारिज

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नई दिल्ली, 23 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उनकी ओर से एजीआर बकाया की फिर से गणना की मांग की गई थी। एयरटेल, वोडाफोन आइडिया, टाटा टेलीसर्विसेज की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि बकाया एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की गणना में गलती हुई है। ऐसे में फिर से इसकी गणना हो। शुक्रवार को जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि एजीआर बकाया की फिर से गणना की जरूरत नहीं हैं और कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इन टेलीकॉम कंपनियों को बकाया 93,520 करोड़ रुपए का एजीआर चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया था। एयरटेल को 43,000 करोड़ और वोडाफोन को 58,000 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने वैधानिक देनदारियों की गणना पर भारत सरकार की स्थिति को बरकरार रखा था। वहीं टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से 20 साल या 10 साल में भुगतान का विकल्प मुहैया कराने को कहा था।

बता दें कि एडजस्टेड ग्रोस रेवेन्यू (एजीआर) दूरसंचार विभागकी ओर से टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला लाइसेंसिंग और यूजेज फीस है। इसमें स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस भी शामिल होती है। इसमें एक विवाद ये भी है कि दूरसंचार विभाग एजीआर की गणना टेलीकॉम कंपनियों की कुल आय पर कर रहा है। इसमें कंपनियों के लाभ के साथ प्रॉपर्टी बिक्री पर कमाएं लाभ भी शामिल हैं। वहीं टेलीकॉम कंपनियां सिर्फ सेवाओं पर होने वाली आमदनी को एजीआर का हिस्सा कह रही हैं।

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English summary
Supreme Court Rejects Telecoms Plea to recomputing AGR owed to the govt
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