गोवा सरकार के फैसले को SC ने पलटा, कहा- सरकारी अधिकारी नहीं बन सकता निर्वाचन आयुक्त
पणजी: तटीय प्रदेश गोवा में नगर पालिका के चुनाव होने वाले हैं। जिस पर गोवा सरकार ने अपने एक अधिकारी को राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त कर दिया, जिसकी देखरेख में ये चुनाव संपन्न करवाए जाने थे, लेकिन ये मामला हाल में ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। जिस पर कोर्ट ने गोवा सरकार को फटकार लगाई। साथ ही साफ किया कि राज्य निर्वाचन आयुक्त जैसे बड़े पद पर किसी स्वतंत्र व्यक्ति का होना जरूरी है, ताकी निष्पक्ष चुनाव करवाए जा सकें।
मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन ने कहा कि गोवा सरकार ने अपने कानून सचिव को राज्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया है। किसी भी लोकतंत्र में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता है। सत्ता में एक सरकारी अधिकारी को राज्य निर्वाचन आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार सौंपना संविधान का मजाक उड़ाने जैसा है। साथ ही उस अधिकारी ने गोवा हाईकोर्ट के चुनाव संबंधि फैसले का भी पालन नहीं किया। फटकार लगाने के बाद सर्वोच्च अदालत ने 30 अप्रैल के पहले चुनाव करवाने का फैसला दिया है।
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ऐसे
शुरू
हुआ
मामला
दरअसल
गोवा
हाईकोर्ट
में
निकाय
चुनाव
के
आरक्षण
में
अनियमितता
को
लेकर
एक
याचिका
दायर
की
गई
थी।
जिस
पर
सुनवाई
के
बाद
गोवा
हाईकोर्ट
ने
पांच
नगर
पालिकाओं
के
चुनाव
रद्द
कर
दिए।
जिसमें
मार्गो,
म्हापसा,
मुरगांव,
सुंगेम
और
क्यूपेम
नगर
पालिक
शामिल
हैं।
इसके
बाद
भी
राज्य
निर्वाचन
आयोग
ने
गुरुवार
को
पांचों
नगर
पालिकाओं
में
21
मार्च
को
चुनाव
का
ऐलान
कर
दिया।
जिसके
बाद
सुप्रीम
कोर्ट
में
ये
मामला
पहुंचा
और
गोवा
सरकार
को
फटकार
लगी।