बिकरू कांड: खुशी दुबे की जमानत याचिका पर SC में हुई सुनवाई, यूपी सरकार को नोटिस
कानपुर, 15 सितंबर: कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में मारे गए अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे की जमानत अर्जी पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। सरकार का पक्ष आने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ अपना फैसला सुनाएगी। बता दें, बिकरू कांड के बाद पुलिस ने अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को गिरफ्तार किया था। उस वक्त खुशी नाबालिग थी। पिछले एक साल से खुशी दुबे जेल में हैं। इस मामले में इलाहबाद हाईकोर्ट ने खुशी दुबे की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
कानपुर के बिकरू गांव में 2 जुलाई 2020 को गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर दबिश देने आई पुलिस टीम पर हमला कर दिया था। इस मुठभेड़ में बिल्हौर सीओ समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। इस कांड में विकास दुबे का रिश्तेदार और शूटर अमर दुबे भी शामिल था। इसके बाद एसटीएफ ने अलग-अलग एनकाउंटर में विकास दुबे, अमर दुबे और अन्य 5 को ढेर कर दिया था। अमर दुबे हमीरपुर में मारा गया था। चौबेपुर पुलिस ने अमर की पत्नी खुशी को गिरफ्तार करके साजिश में शामिल होने और फर्जी दस्तावेज से मोबाइल सिम लेने आदि मामलों में मुकदमे दर्ज किए थे। कानपुर देहात की कोर्ट में प्राथमिक सुनवाई के दौरान नाबालिग करार दिए जाने पर उसे जेल से राजकीय संप्रेक्षण गृह बाराबंकी शिफ्ट कर दिया गया था। इसके साथ उसका मामला किशोर न्याय बोर्ड में सुनवाई के लिए भेज दिया गया था। पिछले एक साल से वह जेल में हैं। इस मामले में इलाहबाद हाईकोर्ट ने खुशी दुबे की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
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इस मामले में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा ने अमर दुबे की पत्नी की ओर से याचिका दाखिल की और सुनवाई को लेकर बहस की। वकील विवेक तंखा ने कोर्ट को बताया कि बिकरू कांड के कुछ दिन पहले ही खुशी की शादी हुई थी। उस वक्त उसकी उम्र 17 साल 10 महीने थी और वह नाबालिग थी। उसकी शादी को महज सात दिन हुए थे। उसके पिता उसे घर ले जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उसे नारी निकेतन भेज दिया। वकील ने कहा कि खुशी का बिकरू कांड से कुछ लेना देना नहीं है। घटना के 4 महीने बाद सरकार ने उस पर अन्य मुकदमे भी लगा दिए। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए पक्ष मांगा है।