'रेवड़ी कल्चर' मामले पर हुई सुनवाई में आज सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा?
'रेवड़ी कल्चर' मामले पर हुई सुनवाई में आज सुप्रीम कोर्ट ने क्या क्या कहा?
नई दिल्ली, 11 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में फ्री स्कीम्स के वादों और 'रेवड़ी कल्चर' पर रोक लगाने वाली याचिका पर आज गुरुवार को 20 मिनट तक सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में अलग से कमेटी बनाने का निर्देश दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी को इस याचिका में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, चुनाव आयोग और याचिकाकर्ताओं से भी सुझाव मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी लोगों से पूछा है कि मुफ्त में ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं या नहीं। वहीं आम आदमी पार्टी को लिखित सुझाव भी दाखिल करने की अनुमति दी गई है। इस मामले पर अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने मामले की सुनवाई की। न्यायमूर्ति हिमा कोहली के आज अनुपस्थित थे। कपिल सिब्बल कोर्ट सलाहकार और अभिषेक मनु सिंघवी आप की ओर से पेश हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कि चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने का वादा करना "गंभीर मुद्दा" है। इसके बजाय बुनियादी ढांचे पर राशि खर्च की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तरह पैसे गंवाने का असर अर्थव्यवस्था पर दिखेगा इसलिए हमें लोगों के कल्याण के लिए इसे संतुलित करना होगा। हालांकि आप ने इस बीच सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कल्याणकारी योजनाओं और मुफ्त में उपहार देने में में अंतर है।
अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका में चुनाव घोषणापत्र को विनियमित करने के लिए कदम उठाने और घोषणापत्र में किए गए वादों के लिए राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में चुनाव आयोग से उनके चुनाव प्रतीकों को फ्रीज करने और उनका पंजीकरण रद्द करने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करने की भी मांग की गई है।
सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि अदालत राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की मांग पर विचार नहीं करेगी क्योंकि यह "अलोकतांत्रिक" है। उन्होंने कहा, "आमतौर पर मैं विधायिका द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों में हस्तक्षेप करने के लिए बहुत अनिच्छुक हूं। मैं एक सख्त रूढ़िवादी हूं, मुझे विधायिका या कार्यपालिका में हस्तक्षेप करना पसंद नहीं है।"
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी पूछा कि आपने हलफनामा कब दायर किया क्योंकि हमें रात में हलफनामा मिला तो नहीं। आज सुबह के समाचार पत्रों में हलफनामा प्रकाशित किया गया था, जिसे देखकर हमें इसके बारे में पता चला।