अब हाईवे पर नहीं दिखेगी शराब की दुकान, SC करेगा आदेश पारित
सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाया है। कोर्ट ने कहा कि लग रहा है कि आप शराब लाबी के साथ हैं?
नई दिल्ली। ड्रिंक एंड ड्राइव को गंभीरता से लेते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस पॉलिसी को सही ठहराया है जिसमें केंद्र सरकार ने नेशनल और स्टेट हाइवे से शराब की दुकानों को हटाने की बात कही है। हाईवे से शराब की दुकान हटाए जाने को लेकर इसका विरोध कर रहे शराब कारोबारियों की दलीलों पर नाराज सुप्रीमकोर्ट ने बुधवार को तंज कसते हुए कहा कि 'शराब की होम डिलीवरी क्यों नहीं शुरू कर देते'।
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इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में पंजाब सरकार को जमकर फटकार लगाया है। कोर्ट ने कहा कि लग रहा है कि आप शराब लाबी के साथ हैं? सरकार की जिम्मेदारी लोगों की सुरक्षा की होती है लेकिन आप हाईवे पर शराब की दुकानें खोलते जा रहे हैं। सरकार का आबकारी विभाग खुश है, आबकारी मंत्री खुश हैं। जबकि हर साल देश में डेढ़ लाख लोग सड़कों पर मारे जा रहे हैं। हालात यह है कि पंजाब में हर किलोमीटर पर हाईवे पर शराब की दुकाने हैं।
2007 का फैसला अभी तक नहीं मानी सरकारें
केंद्र सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार पांडा ने कहा कि सरकार ने 2007 में इस बारे में नीतिगत फैसला लिया लेकिन राज्य सरकारें अभी तक इस पर अमल नहीं कर रही है। पिछले साल सड़क हादसे का आंकड़ा एक लाख 47 हजार पहुंच गया। इस कारण इंश्योरेंस कंपनी ने 11 हजार 482 करोड़ का भुगतान किया। मिनिस्ट्री ऑफ रोड सरफेस की रिपोर्ट का हवाला दिया गया और बताया गया कि राज्य सरकार अभी तक पॉलिसी अमल नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि मिनिस्ट्री ने 2007 में सर्कुलर भेजा था और तमाम राज्यों को इस बारे में बताया गया था कि हाइवे चाहे नेशनल हाइवे हो या स्टेट हाइवे वहां शराब की दुकान का लाइसेंस दोबारा जारी न किया जाए, लेकिन ज्यादातर जगहों पर ये अमल में नहीं है।